अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार को घेर लिया है। कांग्रेस ने कहा है कि जब भी चीन बुरी नजर से हमारे देश की तरफ देखता है प्रधानमंत्री या तो खुलकर या अपनी चुप्पी से चीन को क्लीन चिट दे देते हैं।
कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में आकर इस मुद्दे पर जवाब दें। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर अपना बयान देंगे। इस बीच, लोकसभा में इस मुद्दे पर हंगामा हुआ और इसे थोड़ी देर के लिए स्थगित करना पड़ा।
यह झड़प 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर के यांगस्ते इलाके में हुई थी और इसमें दोनों देशों के जवानों ने एक-दूसरे पर डंडों से हमला किया। हालांकि इस हिंसक झड़प में दोनों ओर से किसी भी जवान की मौत नहीं हुई लेकिन दोनों ओर के जवान घायल हुए हैं।
इस झड़प में छह भारतीय जवान घायल हुए हैं। गुवाहाटी के बशिष्ठ में 151 बेस अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।
कांग्रेस के संचार विभाग के महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि सीमा पर चीन की हरकतें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से हम बार-बार सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार केवल अपनी राजनीतिक छवि को बचाने के लिए इस मामले को दबाने में लगी है और इससे चीन का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि उत्तरी लद्दाख़ में घुसपैठ स्थायी करने की कोशिश में चीन ने डेपसांग में एलएसी की सीमा में 15-18 किमी अंदर 200 स्थायी शेल्टर बना दिए, पर सरकार चुप रही और अब यह नया चिंताजनक मामला सामने आया है।
चीन को मुंहतोड़ जवाब दे भारत
एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि चीन हमें पेट्रोलिंग नहीं करने दे रहा है और झड़प हो रही हैं लेकिन मोदी सरकार चुप है। उन्होंने कहा कि 9 दिसंबर को हुई झड़प के बारे में 12 दिसंबर को पता चला जबकि संसद भी चल रही है। ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन का नाम लेने से डरते हैं। ओवैसी ने कहा कि सरकार को इस बारे में संसद को बताना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि चीन को मुंहतोड़ जवाब क्यों नहीं दिया जा रहा है।
क्या कहा आर्मी ने?
आर्मी ने इस मामले में बयान जारी कर कहा है कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में कुछ इलाके ऐसे हैं जिन पर दोनों ही देशों की सेनाएं पेट्रोलिंग करती हैं और इसे लेकर उनके अपने-अपने दावे हैं। सेना ने कहा है कि ऐसा साल 2006 से है। 9 दिसंबर, 2022 को चीनी सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प हुई और इसमें दोनों ओर के जवानों को हल्की चोट आई है। सेना ने कहा है कि तुरंत ही दोनों ओर से सैनिकों को हटा लिया गया और भारत के कमांडर्स ने चीनी सेना के कमांडर्स के साथ इस मुद्दे पर फ्लैग मीटिंग की।
इस घटना से कुछ दिन पहले चीन ने उत्तराखंड के औली में भारत और अमेरिकी सैनिकों के संयुक्त युद्धाभ्यास पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि यह साल 1993 और 1996 में सीमा को लेकर हुए समझौतों का उल्लंघन है।
गलवान की हिंसक झड़प
याद दिलाना होगा कि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद से ही दोनों देशों के संबंध बेहद तनावपूर्ण रहे हैं।
पहले तो चीन लंबे वक्त तक इनकार करता रहा कि गलवान में हुई झड़प में उसके किसी सैनिक की मौत हुई है लेकिन बाद में उसने स्वीकार किया था कि उसके 4 सैनिक इस झड़प में मारे गए हैं।
लेकिन फरवरी, 2020 में ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'द क्लैक्सन' ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि गलवान में हुई हिंसक झड़प में चीन के 38 जवान मारे गए थे। भारत और चीन के सैनिकों के बीच 1962 के बाद हुई यह सबसे खूनी झड़प थी।
गलवान की हिंसक मुठभेड़ के बाद कई महीने तक दोनों देशों के बीच राजनयिक, सैन्य वार्ताओं का दौर चला और दोनों देशों ने पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से अपने-अपने सैनिकों को वापस बुला लिया था।
गलवान में हुई मुठभेड़ के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे पर एलएसी का उल्लंघन करने के आरोप लगाए थे। इस बीच कई बार इस तरह की सैटेलाइट तसवीरें सामने आईं जिनसे पता चला कि चीन एक तरफ़ तो बातचीत से सीमा विवाद के मुद्दे को हल करने का दिखावा कर रहा है और दूसरी तरफ़ उसने बड़े पैमाने पर बंकर, तोपों की तैनाती और सैन्य ढांचे को खड़ा कर लिया है।
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