मोदी सरकार ने आम चुनाव 2024 की प्रक्रिया जारी होने के बावजूद रविवार 26 मई को सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल एक महीने के लिए बढ़ा दिया। इस पर तमाम सवाल उठ रहे हैं। जनरल पांडे 31 मई को रिटायर होने वाले थे। लेकिन सरकार ने उन्हें एक महीने के लिए और रोक लिया। भारतीय सेना में ऐसा कभी नहीं हुआ। आखिर ऐसी कौन सी अभूतपूर्व स्थिति है या आने वाली है, जिसकी वजह से जनरल पांडे का कार्यकाल बढ़ाया गया। सरकार ने अभी तक कोई सफाई नहीं दी है।
रविवार शाम को सरकारी बयान में कहा गया कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने सेना प्रमुख (सीओएएस) जनरल मनोज सी. पांडे, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, एडीसी की सेवा विस्तार को एक महीने की अवधि के लिए मंजूरी दे दी। सेना नियम 1954 के नियम 16 ए (4) के तहत जनरल पांडे का रिटायरमेंट अब 30 जून, 2024 को होगा। हालांकि इससे पहले वे 31 मई को रिटायर होने वाले थे।
जनरल पांडे 30 अप्रैल, 2022 को इस पद पर आए थे। सेना प्रमुख का कार्यकाल तीन साल या 62 साल की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है। जनरल पांडे 6 मई को 62 साल के हो गए थे। इसलिए उन्हें मई महीने में ही रिटायर होना था। सरकार का यह कदम अप्रत्याशित लग रहा है। क्योंकी 4 जून को सत्ता परिवर्तन हो रहा है। दो ही स्थितियां होंगी, या तो भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार आएगी या फिर कांग्रेस के नेतृत्व वाली इंडिया गठबंधन की सरकार आएगी। यानी जून में ही सरकार को यह फैसला लेना होगा कि अगला सेना प्रमुख कौन होगा।
नियम क्या है: इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक “सेवारत सीओएएस के रिटायर होने पर सबसे वरिष्ठ सेना कमांडर या सेना उप प्रमुख को सेना प्रमुख बनाया जाता है। लेकिन इसके बावजूद सेवा प्रमुख नियुक्त करना सरकार का ही अधिकार है।'' अभी तक यह परंपरा रही है कि सरकार कम से कम एक हफ्ता पहले नए सेना प्रमुख की घोषणा कर देती है। भारतीय सेना में आमतौर पर सरकार दखलन्दाजी नहीं करती और वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति होती है। लेकिन मोदी सरकार ने बीच चुनाव में यह फैसला लेकर कई संशय पैदा कर दिए हैं।
इस खबर के लिखे जाने तक कांग्रेस की कोई अधिकृत प्रतिक्रिया इस मुद्दे पर नहीं आई है। कांग्रेस की चुप्पी रणनीतिक लग रही है। वो 4 जून के बाद ही इस मुद्दे पर बयान देगी। लेकिन एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने जनरल पांडे के कार्यकाल को बढ़ाने के फैसले की आलोचना की है। ओवैसी ने कहा, “नरेंद्र मोदी सरकार को उनकी रिटायरमेंट की तारीख के बारे में अच्छी तरह से पता था। मोदी सरकार को बहुत पहले ही उनकी जगह आने वाले की घोषणा करनी चाहिए थी। कुछ लोगों ने अमेरिका जैसी स्थिति की आशंका भी जताई है। लोगों ने कहा कि ट्रंप के हारने के बावजूद वो कुर्सी छोड़ नहीं रहे थे। कैपिटल हिल पर कब्जे की स्थिति बन गई थी।
ओवैसी ने यह भी कहा कि हमारी सेना और अन्य सशस्त्र बलों को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। लेकिन पिछले दशक में, हमने देखा है कि मोदी शासन ने अपने चुनावी लाभ के लिए हमारे सैनिकों का इस्तेमाल और दुरुपयोग किया है। हमने इसे चीन सीमा पर देखा है जहां हमारे सैनिक एलएसी पर गश्त करने में असमर्थ हैं। जनरल पांडे पर यह नवीनतम कदम फिर से पीएम मोदी, रक्षा मंत्री और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर निर्णय लेने में शामिल सभी लोगों पर खराब प्रभाव डालेगा।
ओवैसी ने कहा कि “जनरल पांडे का विस्तार सिर्फ एक महीने के लिए है, इसका मतलब है कि यह एक अस्थायी उपाय है, जो अनिवार्य रूप से शासन की पूर्ण कमी को बताता है। यदि यह अक्षमता नहीं है, तो यह कुछ अधिक भयावह और षडयंत्रकारी है।
सेना प्रमुख को सेवा विस्तार देने पर लोग सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। काफी लोगों ने सरकार के कदम की तारीफ की है। लोगों का कहना है कि मोदी ने अच्छा किया जो अगले सेना प्रमुख को नियुक्त करने की छूट अगली केंद्र सरकार को दे दी है। अब विपक्ष को मलाल नहीं होगा। सत्ता परिवर्तन पर वो अपनी पसंद का सेना प्रमुख ला सकती है।
अपनी राय बतायें