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जनरल पांडे 30 अप्रैल, 2022 को इस पद पर आए थे। सेना प्रमुख का कार्यकाल तीन साल या 62 साल की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है। जनरल पांडे 6 मई को 62 साल के हो गए थे। इसलिए उन्हें मई महीने में ही रिटायर होना था। सरकार का यह कदम अप्रत्याशित लग रहा है। क्योंकी 4 जून को सत्ता परिवर्तन हो रहा है। दो ही स्थितियां होंगी, या तो भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार आएगी या फिर कांग्रेस के नेतृत्व वाली इंडिया गठबंधन की सरकार आएगी। यानी जून में ही सरकार को यह फैसला लेना होगा कि अगला सेना प्रमुख कौन होगा।
नियम क्या है: इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक “सेवारत सीओएएस के रिटायर होने पर सबसे वरिष्ठ सेना कमांडर या सेना उप प्रमुख को सेना प्रमुख बनाया जाता है। लेकिन इसके बावजूद सेवा प्रमुख नियुक्त करना सरकार का ही अधिकार है।'' अभी तक यह परंपरा रही है कि सरकार कम से कम एक हफ्ता पहले नए सेना प्रमुख की घोषणा कर देती है। भारतीय सेना में आमतौर पर सरकार दखलन्दाजी नहीं करती और वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति होती है। लेकिन मोदी सरकार ने बीच चुनाव में यह फैसला लेकर कई संशय पैदा कर दिए हैं।
ओवैसी ने यह भी कहा कि हमारी सेना और अन्य सशस्त्र बलों को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। लेकिन पिछले दशक में, हमने देखा है कि मोदी शासन ने अपने चुनावी लाभ के लिए हमारे सैनिकों का इस्तेमाल और दुरुपयोग किया है। हमने इसे चीन सीमा पर देखा है जहां हमारे सैनिक एलएसी पर गश्त करने में असमर्थ हैं। जनरल पांडे पर यह नवीनतम कदम फिर से पीएम मोदी, रक्षा मंत्री और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर निर्णय लेने में शामिल सभी लोगों पर खराब प्रभाव डालेगा।
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