भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन के दावे को खारिज कर दिया। इसने कहा है कि हमारे राज्य में जगहों के नाम बदल देने से राज्य की स्थिति में बदलाव नहीं आएगा।
विदेश मंत्रालय की ओर से यह प्रतिक्रिया तब आई है जब चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने रविवार को रिपोर्ट दी कि चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने ज़ंगनान (अरुणाचल प्रदेश का चीनी नाम) में मानकीकृत भौगोलिक नामों की चौथी सूची जारी की है, जिसे बीजिंग दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में दावा करता है।
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि नये नाम देने से इस वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आएगा कि राज्य भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है और हमेशा रहेगा। इसने अरुणाचल प्रदेश में कई स्थानों का नाम बदलने के लिए चीन की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य में मनगढ़ंत नाम रखने से वास्तविकता नहीं बदलेगी।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के अपने मूर्खतापूर्ण प्रयासों पर कायम है। बता दें कि चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने ज़ंगनान में छह स्थानों के मानकीकृत नामों की पहली सूची 2017 में जारी की थी, जबकि 15 स्थानों की दूसरी सूची 2021 में जारी की गई थी, इसके बाद 2023 में 11 स्थानों के नामों के साथ एक और सूची जारी की गई थी। चीन ने अब ज़ंगनान में मानकीकृत भौगोलिक नामों की चौथी सूची जारी की। मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट ने क्षेत्र के लिए 30 अतिरिक्त नाम पोस्ट किए।
कांग्रेस ने सोमवार को मोदी सरकार पर हमला किया। पार्टी ने कहा है कि चीन ने कई भारतीय जगहों पर अवैध कब्जा कर लिया है और कई जगहों के नाम बदल रहा है, फिर भी मोदी सरकार चुप है।
कांग्रेस ने कहा, 'चीन ने एकबार फिर अरुणाचल प्रदेश की 30 और जगहों को नए नाम दिए हैं। लद्दाख के साथ ही अरुणाचल प्रदेश में चीन लगातार भारतीय जमीन पर कब्जा कर रहा है, जगहों के नाम बदल रहा है, लेकिन पीएम मोदी खामोश हैं।'
बता दें कि राज्य पर अपना दावा फिर से जताने के लिए चीन के हालिया बयानों की शुरुआत बीजिंग द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर भारत के साथ राजनयिक विरोध दर्ज कराने से हुई। अपनी यात्रा में पीएम ने अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनी सेला सुरंग को राष्ट्र को समर्पित किया था।
यह सुरंग रणनीतिक रूप से स्थित तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और उम्मीद है कि इससे सीमांत क्षेत्र में सैनिकों की बेहतर आवाजाही सुनिश्चित होगी। चीनी विदेश और रक्षा मंत्रालयों ने क्षेत्र पर चीन का दावा करने के लिए बयानों की झड़ी लगा दी है।
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