बीजेपी के नेतृत्व में भले ही एनडीए शुक्रवार को सरकार बनाने के लिए बैठक कर रहा है, लेकिन इंडिया गठबंधन ने भी अभी तक सरकार बनाने की उम्मीद नहीं छोड़ी है। हालाँकि, यह अभी उस तरह से सरकार बनाने के प्रयासों में जुटा नहीं दिख रहा है, लेकिन समझा जाता है कि इसके लिए अंदर खाने प्रयास चल रहा है।
इंडिया गठबंधन ने एनडीए खेमे में हो रहे घटनाक्रमों पर नजर रखने और सही समय पर सही क़दम उठाने का फैसला किया है, लेकिन विपक्षी गठबंधन में टीएमसी, शिवसेना (यूबीटी) और आप जैसे दल सरकार बनाने के प्रयासों में जुटे दिख रहे हैं। ये दल भाजपा को मात देने के लिए दल की संख्या बढ़ाने के लिए विकल्प तलाशने पर जोर दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि टीएमसी और शिवसेना (यूबीटी) ने अखिलेश यादव से संपर्क किया है कि वह नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से संपर्क करें।
एक दिन पहले ही गुरुवार को ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी और पार्टी सहयोगी डेरेक ओ ब्रायन ने नई दिल्ली में अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। आप नेता संजय सिंह और राघव चड्ढा ने भी अभिषेक बनर्जी से मुलाकात की थी। दोनों आप नेता अलग-अलग शिवसेना नेता संजय राउत के आवास पर गए। टीएमसी नेताओं के मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य से मुलाकात की भी ख़बरें हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने चुनाव नतीजों के दिन ही सपा के अखिलेश यादव से बात की थी और उनसे टीडीपी के एन चंद्रबाबू नायडू और जेडी(यू) के नीतीश कुमार, दोनों से संपर्क करने को कहा था। नायडू 1990 के दशक के मध्य में संयुक्त मोर्चा के दिनों से अखिलेश के दिवंगत पिता मुलायम सिंह यादव के साथी थे और नीतीश के भी सपा के दिग्गज नेता के साथ अच्छे समीकरण थे। सूत्रों के अनुसार आप का भी मानना है कि इंडिया ब्लॉक में और अधिक पार्टियों को शामिल करने के विकल्प तलाशे जाने चाहिए।
कांग्रेस आक्रामक तरीके से संख्या बल जुटाने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि इंडिया ब्लॉक दावा करने की स्थिति में नहीं है। वामपंथी नेताओं का भी मानना है कि दावा करने के लिए एक अराजक गठबंधन बनाने की कोशिशें इस समय प्रतिकूल हो सकती हैं।
अंग्रेज़ी अख़बार ने रिपोर्ट दी है कि कांग्रेस में सोच यह है कि गठबंधन को नीतीश कुमार और नायडू के लिए विकल्प और दरवाजे खुले रखने चाहिए।
वैसे, जेडीयू और टीडीपी की शर्तें भी बीजेपी को कुछ असहज करने वाली हो सकती हैं। एक तो दोनों दल बिहार और आँध्र प्रदेश के अपने-अपने राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग करते रहे हैं और दूसरे अग्निवीर योजना की समीक्षा की मांग से बीजेपी के लिए मुश्किल हो सकती है।
एनडीए की अहम सहयोगियों में एक जेडीयू ने सेना में भर्ती योजना अग्निवीर और समान नागरिक संहिता को लेकर अलग राय रखी है। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा है कि अग्निवीर स्कीम पर फिर से विचार करने की ज़रूरत है। त्यागी ने कहा कि इसके साथ ही समान नागरिक संहिता पर सभी राज्यों से बातचीत की जानी चाहिए। जेडीयू ने कहा कि अग्निवीर योजना का काफी विरोध हुआ। उन्होंने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव में इसके विरोध का असर देखने को मिला। इसी तरह चंद्रबाबू नायडू की मुस्लिमों को लेकर योजनाओं पर बीजेपी से ठन सकती है।
एनडीए की बैठक
इधर, भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए शुक्रवार को संसद के केंद्रीय कक्ष में अपने नवनिर्वाचित सांसदों की बैठक आयोजित करने वाला है। ख़बर है कि बैठक में महागठबंधन की ओर से सरकार बनाने पर चर्चा होगी। 2024 के लोकसभा चुनावों में एनडीए ने 293 सीटें जीतकर बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। हालाँकि, भाजपा केवल 240 सीटें हासिल करने में सफल रही, जो 2019 की तुलना में बहुत कम है।
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