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ट्रम्प और मोदी। फाइल फोटो।

प्रवासियों की दूसरी खेप तैयार, मोदी यूएस में, इस बार हथकड़ी-बेड़ी से रोक पायेंगे?

पीएम मोदी का प्लेन बुधवार शाम वाशिंगटन में उतर चुका है। मोदी के सामने महत्वपूर्ण लक्ष्य है: क्या वो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को बाकी भेजे जाने वाले अवैध भारतीयों को हथकड़ी बेड़ी लगाने से रोक पायेंगे। अमेरिका जल्द ही 170-180 अवैध अप्रवासियों के एक और समूह को भारत वापस भेजने जा रहा है। ये वे लोग हैं जो लाखों रुपए खर्च करके "डंकी रूट" या अन्य अवैध तरीकों से अमेरिका में घुसे हैं और पिछले एक से तीन साल से अमेरिका में रह रहे हैं।

अवैध प्रवासियों की 104 लोगों की जो पहली खेप भारत आई थी, उसके बहुत बुरे अनुभव थे। उन्हें हथकड़ी-बेड़ी लगाकर अमेरिकी सैन्य विमान से भेजा गया था। रास्ते में उन लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। संसद में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि महिलाओं को हथकड़ी नहीं लगाई गई। लेकिन तमाम महिलाओं ने उनकी बात का खंडन करते हुए कहा कि उन्हें भी हथकड़ी लगाकर लाया गया था।
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हालांकि भारतीय अधिकारियों की ओर से दूसरी खेप को भेजने की आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है, लेकिन अमेरिकी प्रशासन के सूत्रों ने कहा है कि निर्वासन इसी सप्ताह हो सकता है। इससे पहले पहला जत्था अमृतसर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा था। हालांकि, अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि दूसरा जत्था कहां उतरेगा।

अप्रवासन एक नाजुक मुद्दा है, जिसमें भारतीय लोग अमेरिका में रहने वाले अवैध अप्रवासियों का तीसरा सबसे बड़ा समूह हैं। प्यू रिसर्च सेंटर के नवीनतम अनुमानों के अनुसार, अनुमानतः 725,000 भारतीय नागरिक बिना किसी कानूनी दस्तावेज़ के अमेरिका में रह रहे हैं।
ऐसे में बहुत कम संभावना है कि मोदी इस मुद्दे को ट्रम्प के सामने उठाने की हिम्मत जुटा पायेंगे। क्योंकि मोदी अब ट्रम्प को नाराज नहीं करना चाहते। भारत ने इस बात को नोट किया था कि ट्रम्प ने अपने शपथग्रहण में मोदी को निमंत्रित नहीं किया। भारतीय मीडिया में यह खबरें आम थीं कि भारत सरकार की ओर से कोशिश की गई कि ट्रम्प के शपथ ग्रहण में मोदी को बुलाया जाय। लेकिन ट्रम्प ने मोदी को 13 फरवरी की तारीख मुलाकात के लिए दी। 
अब भारत की कोशिश की है कि यूएस से आने वाले अवैध प्रवासियों को हथकड़ी-बेड़ी न लगाई जाये। जयशंकर ने कह चुके हैं कि उनकी टीम अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसी उड़ानों में भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार न हो। उन्हें हथकड़ी-बेड़ी न लगाई जाए।
भारत से डंकी रूट से यूएस जाने वाले अधिकांश भारतीयों को ट्रेवेल एजेंटों ने धोखा दिया है। इस संबंध में पंजाब में कई एफआईआर दर्ज की गई है। अवैध मानव तस्करी की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने फर्जी आव्रजन सलाहकारों के खिलाफ दो और एफआईआर दर्ज की हैं, जिससे ऐसी एफआईआर की संख्या 10 हो गई है।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि एडीजीपी (एनआरआई मामले) प्रवीण सिन्हा के नेतृत्व में गठित एसआईटी, अमेरिका में अवैध एंट्री का झूठा वादा करके लोगों को ठगने वाले ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ दर्ज शिकायतों की जांच कर रही है। उन्होंने बताया कि टीम ने निर्वासित लोगों के बयान दर्ज किए हैं और धोखेबाज ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

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यूएस से पहली खेप में भेजे गये 104 भारतीयों में 30 पंजाब से, 33-33 हरियाणा और गुजरात से, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से और दो चंडीगढ़ से थे। अवैध अप्रवासियों को वापस लाने के लिए अमेरिकी सैन्य विमान सी-17 का इस्तेमाल किया गया था। निर्वासित लोगों को सत्यापन और पृष्ठभूमि जांच के बाद घर जाने की अनुमति दिए जाने की उम्मीद है। पुलिस आपराधिक रिकॉर्ड वाले निर्वासित व्यक्ति की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।

(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)
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