नफरती भाषण यानी हेट स्पीच को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को बड़े पदों पर बैठे लोगों को नसीहत दी। कोर्ट ने कहा कि उन्हें जिम्मेदारी से पेश आना होगा। हाल ही में हेट स्पीच के कई मामले सामने आए थे। इस मामले को सीपीएम की वृंदा करात अदालत तक ले गई थीं।
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भारत जैसे लोकतंत्र में, चुने हुए नेता न केवल अपने चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं के प्रति, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। और अंततः संविधान तक इसमें शामिल है। ये लोग आम जनता के लिए रोल मॉडल हैं। इस प्रकार, नेताओं के लिए ऐसे कृत्यों या भाषणों में शामिल होना उचित नहीं है जो समुदायों के बीच दरार पैदा करते हैं, तनाव पैदा करते हैं और सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करते हैं।
-दिल्ली हाईकोर्ट, सोमवार को
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ऐसे लोग संवैधानिक लोकाचार को कमजोर करते हैं और संविधान के तहत दी गई समानता और स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं। यह संविधान के तहत निर्धारित मौलिक कर्तव्यों का घोर अपमान है। इसलिए, केंद्र और राज्य सरकारों से सख्त कार्रवाई की जरूरत है।
-दिल्ली हाईकोर्ट, सोमवार को
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