आखिरकार अब यह साफ हो गया है कि देश में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें सरकार के स्तर पर ही तय होती हैं और इसमें तेल कंपनियों की कोई भूमिका नहीं होती। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी के मुताबिक पिछले दो महीने से पेट्रोल और डीजल पर भारी घाटा झेल रही तेल कंपनियों ने राहत की मांग करते हुए सरकार का दरवाजा खटखटाया है।

क्या पेट्रोल डीजल के दामों में बढ़ोतरी के लिए केंद्र सरकार ही जिम्मेदार है? अगर हां, तो वह इससे इनकार क्यों करती है।
हरदीप पुरी के मुताबिक इन कंपनियों की मांग है कि उन्हें पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों के निर्धारण संबंधी निर्णय लेने की छूट दी जाए, क्योंकि कंपनियों को पेट्रोल पर 17.10 रुपए और डीजल पर 20.40 रुपए प्रति लीटर तक का घाटा उठाना पड़ रहा है।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री के इस बयान के जरिए पहली बार सरकार की यह स्वीकारोक्ति आधिकारिक तौर पर सामने आई है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें सरकार के निर्देश पर कम-ज्यादा की जाती हैं। अन्यथा इससे पहले हम देखते आए हैं कि देश में जब-जब भी पेट्रोल और डीजल की दाम बढ़ते हैं और जनता में हाहाकार मचता है तो सरकार के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता संसद समेत हर मंच पर यह मिथकीय कथा बांचने लगते हैं कि पेट्रोल और डीजल के खुदरा दाम पेट्रोलियम कंपनियां तय करती हैं और सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।