तमिलनाडु में बुधवार को सेना के हेलीकॉप्टर हादसे में सपत्नीक दुखद मौत के साथ ही सीडीएस जनरल बिपिन रावत का जनवरी 2022 में पत्नी को साथ लेकर अपने ससुराल शहडोल आने का वादा अधूरा रह गया।
यह खुलासा जनरल रावत के साले और मधूलिका रावत के भाई यशवर्धन सिंह ने किया है। हेलीकॉप्टर हादसे की सूचना के बाद भोपाल से दिल्ली रवाना होने के पहले उन्होंने कुछ पारिवारिक मित्रों के साथ परिवार से जुड़ी कई पुरानी यादों को साझा किया।
भोपाल में चल रही नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में अपनी शूटर बेटी को हिस्सा दिलाने के लिये यशवर्धन भोपाल आए हुए थे। घटना की सूचना और अविलंब दिल्ली पहुंचने के निर्देश के बाद यशवर्धन भोपाल दौरा बीच में छोड़कर अपनी पत्नी को लेकर दिल्ली रवाना हो गए। बेटी भोपाल में रुकी हुई हैं।
क्या कहा जनरल के साले ने?
दिल्ली रवानगी के पहले यादों को साझा करते हुए यशवर्धन ने बताया, "दस दिन पहले जीजा जनरल रावत से चर्चा हुई थी। दो दिन पहले जीजाजी से बात हुई। जनवरी 2022 में जनरल रावत ने अपने ससुराल शहडोल आने का वादा किया था। कहा था दीदी और वे अगले महीने शहडोल आयेंगे।"दतिया आए थे जनरल रावत
सीडीएस जनरल बिपिन रावत तीन महीने पहले दतिया आए थे। उन्होंने दतिया में पीतांबरा शक्तिपीठ दरबार में मत्था टेका था। उन्होंने भगवान वनखण्डेश्वर महादेव का जलाभिषेक भी किया था।
जनरल रावत के पूजा-दर्शन के दौरान मीडिया को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया था। जनरल रावत का पूरा कार्यक्रम गोपनीय रखा गया था। वे करीब सात घंटे मंदिर में रहे थे। पूजा-अर्चना और अनुष्ठान किया था।
दतिया दौरे के पूर्व करीब दो साल पहले जनरल बिपिन रावत महू आए थे। वे सेना की कमाडेंट कांफ्रेंस में शमिल हुए थे। जनरल रावत सैन्य संग्रहालय भी पहुंचे थे। एंटी टैंक मिसाइल को देखा था।
जनरल रावत ने महू में ‘इन्फेंट्री में आधुनिकीकरण से जुड़े मुद्दों, प्रशिक्षण, मानव संसाधन विकास एवं भविष्य के दृष्टिकोण’ जैसे महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए थे।
इंदौर से था रावत का गहरा नाता
जनरल रावत मध्य प्रदेश के दामाद थे। शहडोल से उनका सीधा नाता था। मगर इंदौर भी उनके दिल के बेहद करीब था। इंदौर से लगे महू के सेना मुख्यालय में वे पदस्थ रहे।
उन्होंने रक्षा और मैनेजमेंट विषय से एम. फिल की डिग्री इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी।
2012 में शहडोल आई थीं मधूलिका
मधूलिका रावत का विवाह 1985 में बिपिन रावत के संग हुआ था। विवाह के बाद से शहडोल आना कम ही हो पाता था। परिवार जनों के अनुसार 2012 में आखिरी बार मधूलिका अपने मायके शहडोल आई थीं।
सिंधिया स्कूल ग्वालियर की छात्रा
दिल्ली विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान की पढ़ाई करने वालीं मधूलिका रावत ग्वालियर के सिंधिया स्कूल की छात्रा भी रहीं। वे आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष थीं। सेना के जवानों की पत्नियों, बच्चों और आश्रितों की खुशहाली के लिए काम करती थीं। सेनाध्यक्ष बनने के बाद जनरल रावत के साथ तीन साल पहले मधूलिका रावत, सिंधिया स्कूल के कार्यक्रम में शामिल होने ग्वालियर पहुंची थीं।
राजबाग में बीता बचपन
मधुलिका के पिता सोहागपुर रियासत के राजा रहे। पुराने स्थानीय लोगों के अनुसार, मधूलिका का बचपन रानी जैसा बीता। बचपन में ज्यादातर समय राजबाग के साथ पैतृक घर सोहागपुर गढ़ी में बीता। प्रत्यक्षदर्शी लोगों ने मधूलिका एवं बिपिन रावत के शाही अंदाज और राजसी ठाठबाट वाले विवाह समारोह से जुड़ी पुरानी यादों को भी भरे मन मीडिया के समक्ष याद किया।
जनरल रावत की पत्नी मधूलिका सिंह रियासतदार कुंवर मृगेंद्र सिंह की मंझली बेटी थीं। मधूलिका के पिता कांग्रेस से सोहागपुर से 1967 और 1972 में दो बार विधायक रहे।
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