सरकार ने गाँधी परिवार को मिली सबसे उच्च दर्जे की स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी सुरक्षा को हटाने का निर्णय लिया है। गाँधी परिवार में सोनिया गाँधी के अलावा उनके बेटे राहुल गाँधी और उनकी बेटी प्रियंका गाँधी वाड्रा को यह सुरक्षा मिली थी। उन्हें अब जेड प्लस सुरक्षा ही मिलेगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। गाँधी परिवार का यह मामला पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने के बाद आया है। मनमोहन सिंह के मामले में सरकार ने कहा था कि इंटेलिजेंस सूत्रों से ख़तरा कम होने की रिपोर्ट मिलने के बाद यह फ़ैसला लिया गया।
रिपोर्टों के अनुसार गाँधी परिवार की सुरक्षा के मामले में यह फ़ैसला सुरक्षा की समीक्षा के बाद लिया गया। गृह मंत्रालय सुरक्षा की समीक्षा करता है और इस संबंध में सुरक्षा के स्तर का फ़ैसला लेता है। जेड प्लस सुरक्षा मिलने का मतलब है कि उन्हें अब सेंट्रल रिज़र्व पुलिस फ़ोर्स यानी सीआरपीएफ़ के 100 जवान उनकी सुरक्षा में लगे रहेंगे।
बता दें कि गाँधी परिवार को एसपीजी सुरक्षा तब मिली थी जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या की गई थी।
अब इस मामले को राजनीतिक तूल पकड़ने की संभावना है। माना जा रहा है कि कांग्रेस के नेता इसे गाँधी परिवार की सुरक्षा को डाउनग्रेड करने यानी घटाने के तौर पर लेंगे और इस मुद्दे को उठाएँगे।
यह भी संभावना है कि कांग्रेस के नेता गाँधी परिवार के सदस्यों की जान को ख़तरा का हवाला देकर एसपीजी सुरक्षा फिर से बहाल करने की माँग करें। ऐसा नहीं होने पर सरकार और कांग्रेस के बीच वार-पलटवार होना तय है। संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू होने को है। ऐसे में यह मुद्दा संसद में भी उठाया जा सकता है। इस पर भी हंगामे की संभावना रहेगी। हालाँकि देखने वाली बात यह रहेगी कि कहीं इस मुद्दे के कारण आर्थिक संकट सहित देश के सामने मौजूद दूसरे मुद्दे से ध्यान न भटक जाए।
प्रमुख रूप से छह प्रकार की सुरक्षा होती है। इसमें एक्स, वाई, वाई प्लस, जेड, जेड प्लस और एसपीजी। एसपीजी सुरक्षा प्रधानमंत्री और उनके परिवार के लिए होती है, जबकि अन्य श्रेणियों की सुरक्षा ख़तरे के स्तर के हिसाब से दी जाती है।
एसपीजी का गठन इंदिरा गाँधी की हत्या के एक साल बाद 1985 में प्रधानमंत्री और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए किया गया था। राजीव गाँधी की हत्या के बाद एसपीजी क़ानून में बदलाव किया गया था। इसमें पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार वालों को दस साल तक सुरक्षा का प्रावधान किया गया था। इसके बाद 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में इसमें फिर से बदलाव किया गया और दस साल सुरक्षा की जगह एक साल कर दिया गया या ख़तरे की आशंका को देखते हुए इसे लंबे समय तक बढ़ाए जाने का भी प्रावधान किया गया।
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