सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फ़ैसले में कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी एक स्वस्थ और सभ्य समाज का अभिन्न हिस्सा है। इस फ़ैसले के तहत कोर्ट ने गुजरात में कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के ख़िलाफ़ दर्ज एक एफ़आईआर को रद्द कर दिया। यह एफ़आईआर उनकी सोशल मीडिया पर साझा की गई एक कविता को लेकर दर्ज की गई थी।
बोलने की आज़ादी लोकतंत्र का आधार: SC; प्रतापगढ़ी के ख़िलाफ़ FIR रद्द
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- 28 Mar, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी लोकतंत्र का आधार है और इमरान प्रतापगढ़ी के ख़िलाफ़ दर्ज FIR को रद्द कर दिया। क्या अब कुणाल कामरा के ख़िलाफ़ एफ़आईआर भी रद्द होगी? जानें पूरा मामला।

जस्टिस एएस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने गुजरात पुलिस की कार्रवाई पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि शत्रुता को बढ़ावा देने जैसे अपराध को 'असुरक्षित लोगों' के स्टैंडर्ड से नहीं आँका जा सकता, जो हर बात को ख़तरा या आलोचना मान लेते हैं। यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब हास्य कलाकार कुणाल कामरा का शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के ख़िलाफ़ 'गद्दार' वाली टिप्पणी को लेकर मानहानि का मामला भी सुर्खियों में है।