किसानों और सरकार के बीच तनातनी बढ़ने के आसार हैं। किसानों ने सोमवार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की केंद्र सरकार की नई पेशकश को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि यह उनके हित में नहीं है। सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वे 21 फरवरी की सुबह अपना 'दिल्ली चलो' मार्च फिर से शुरू करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र के प्रस्ताव में स्पष्टता नहीं है और वे सिर्फ दालों, मक्का और कपास की फसलों पर ही नहीं बल्कि सभी 23 फसलों पर एमएसपी चाहते हैं। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा, 'हमारे दो मंचों पर चर्चा करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि केंद्र का प्रस्ताव किसानों के हित में नहीं है और हम इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं।'
किसानों ने केंद्र की पेशकश ठुकराई, बुधवार से जारी रहेगा दिल्ली मार्च
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- 19 Feb, 2024
एमएसपी की क़ानूनी गारंटी सहित कई मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आख़िर सरकार के चौथे दौर की बातचीत में की गई पेशकश को क्यों खारिज किया? जानिए, सरकार की क्या थी पेशकश।

एमएसपी की क़ानूनी गारंटी सहित 12 मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे पंजाब और हरियाणा के क़रीब 200 संगठन अपनी मांगों को मनवाने में लगे हैं। ये किसान सरकार की पेशकश से संतुष्ट नहीं हैं। प्रदर्शन करने वाले किसानों से पहले आज दिन में ही संयुक्त किसान मोर्चा ने भी सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। पिछली बार तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान संगठनों का नेतृत्व करने वाला संयुक्त किसान मोर्चा यानी एसकेएम इस बार प्रदर्शन में शामिल नहीं है। इसने पुराने एमएसपी पर दालें, मक्का और कपास खरीदने के लिए पांच साल के अनुबंध की पेशकश को खारिज कर दिया है। स्वामीनाथन कमेटी द्वारा की गई सिफारिश में लागत पर 50 फ़ीसदी मुनाफे की बात कही गई है, लेकिन अब तक चले आ रहे एमएसपी में इससे कमतर की बात की गई है।