क्या है मामला?
एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि सरकार की इन कार्रवाइयों पर वह हैरत में है और इसका विरोध करता है। गिल्ड ने एक बयान में कहा है, 'सिर्फ सोशल मीडिया या मुख्यधारा की मीडिया में कुछ छपने पर इस क़ानून का सहारा लेना सत्ता का खुला दुरुपयोग है।' गिल्ड ने इसके आगे कहा,“
'इसका मक़सद सिर्फ इन पत्रकारों को आतंकित करना ही हो सकता है। गिल्ड को यह भी लगता है कि यह पूरे देश के पत्रकारों को डराने का अप्रत्यक्ष तरीका है।'
एडिटर्स गिल्ड के बयान का अंश
गिल्ड ने कहा कि सच्ची तसवीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से ही खूंखार आतंकवादियों से निपटने वाले क़ानून लागू नहीं किया जा सकता है। इसी तरह 'द हिन्दू' अख़बार में छपी ख़बर के बारे में कुछ कहना था तो अख़बार के संपादक से कहा जा सकता था।
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