कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व पार्टी के सांसद राहुल गांधी को ईडी के समन के बाद पार्टी ने जोरदार ढंग से पलटवार किया है। सोनिया और राहुल गांधी को यह समन नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में भेजा गया है। यह जानना जरूरी है कि नेशनल हेराल्ड मामला क्या है।
नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं।
बीजेपी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि सोनिया और राहुल गांधी ने केवल 50 लाख रुपये का भुगतान कर यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के ज़रिए कांग्रेस के स्वामित्व वाले एसोसिएट जरनल लिमिटेड (एजेएल) की 90.25 करोड़ की रकम वसूलने का अधिकार हासिल कर लिया था।
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नेहरू ने शुरू किया था एजेएल
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एजेएल को 1937 में शुरू किया था। 2010 में कंपनी में 1057 शेयर धारक थे और नुकसान होने के बाद 2011 में इसके स्वामित्व को यंग इंडिया लिमिटेड कंपनी को ट्रांसफर कर दिया गया था।
एजेल की ओर से अंग्रेजी अखबार नेशनल हेराल्ड, उर्दू अखबार कौमी आवाज़ और हिंदी अखबार नवजीवन प्रकाशित किया जाता था।
यंग इंडिया लिमिटेड का गठन 2010 में किया गया था और इसमें राहुल गांधी और कांग्रेस के एक नेता निदेशक थे। राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पास इस कंपनी के 76 फ़ीसदी शेयर थे और 24 फ़ीसदी शेयर कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस के पास थे।
हुड्डा पर भी आरोप
ईडी ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भी आरोप लगाया था कि उन्होंने एजेएल को पंचकूला में नियम कानूनों को ताक पर रखकर प्लॉट का आवंटन किया था। असल में प्लॉट का आवंटन 1982 में किया गया था लेकिन इसे 1992 में वापस ले लिया गया था।
ईडी के मुताबिक, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा का मुख्यमंत्री रहते हुए इस प्लॉट को फिर से पुरानी दरों पर एजेएल को आवंटित कर दिया। ईडी ने यह भी कहा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल को यह प्लॉट देने के लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के नियमों को बदल दिया और इससे प्राधिकरण को 64 करोड़ का नुकसान हुआ। ईडी के मुताबिक, हुड्डा सरकार ने एजेएल को 2008 से 2012 के बीच में इस प्लॉट पर निर्माण के लिए तीन बार गलत तरीके से विस्तार भी दिया।
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