जिस बात की आशंका जताई जा रही थी वही हुआ, सीबीआई के द्वारा वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की गिरफ़्तारी के बाद से ही जाँच एजेंसियों का अगला क़दम क्या होगा, कांग्रेस का कौन सा नेता निशाने पर होगा, इसे लेकर सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों में जोर-शोर से चर्चाएँ चल रही थीं।
सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पंचकूला की विशेष अदालत में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दायर कर दिया है। यह आरोप पत्र धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया गया है। पीएमएलए के विशेष जज ने ईडी के इस आरोप पत्र की जाँच की और शिकायत दर्ज कर ली है। इस मामले में आगे की सुनवाई 16 सितंबर को होगी। एजेएल का नियंत्रण गाँधी परिवार के हाथ में है और यह समूह नेशनल हेरल्ड समाचार पत्र चलाता है। बता दें कि सोनिया और राहुल दोनों ही नेशनल हेरल्ड मामले में जमानत पर हैं।
ईडी के मुताबिक़, यह संपत्ति एजेएल को 1982 में आवंटित की गई थी लेकिन 1992 में इसे हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) को वापस कर दिया गया था लेकिन इस मामले में एजेएल ने आवंटन पत्र की शर्तों का पालन नहीं किया था।
पद के दुरुपयोग का आरोप
ईडी ने कहा, ‘हुड्डा ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एजेएल की मदद की और उसे उपरोक्त प्लॉट पर निर्माण के लिए 1 मई 2008 से लेकर 10 मई 2012 के बीच तीन बार अनुचित विस्तार दिये और जब तक कि एजेएल ने 2014 में निर्माण का काम पूरा नहीं कर लिया।’ आरोप पत्र में ईडी ने यह भी कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने इस बारे में हुडा के अधिकारियों, वित्तीय आयुक्त से कोई विधिक राय तक नहीं ली। जाँच एजेंसी ने कहा है कि इस प्रकार, सीएम ने हुडा को गलत तरीक़े से नुकसान पहुँचाया और एजेएल को गलत तरीक़े से फ़ायदा पहुँचाया है।
कार्रवाई के बाद हुड्डा ने अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि ईडी पहले ही प्लॉट को कुर्क करने का आदेश दे चुका है और यह आरोप पत्र उसके आगे की कार्रवाई है। ईडी ने पिछले महीने इस मामले में हुड्डा से पूछताछ की थी।
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