कुछ साल पहले अंडरवर्ल्ड माफिया दाऊद इब्राहिम पर एक फ़िल्म बनी थी, नाम था - 'कंपनी'। इस फ़िल्म का एक गाना काफी प्रचलित हुआ था। गाने के बोल थे - ‘गंदा है पर धंधा है ये’। यह गाना आज हमारी राजनीतिक पार्टियों के चंदे के ‘खेल’ पर बिलकुल फ़िट बैठता है! इसलिए अब इसके बोल होने चाहिए - ‘गंदा है पर चंदा है ये’।