जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद से अमेरिका और दुनिया के अन्य देशों से मदद माँग रहे पाकिस्तान को भारत ने कड़ा संदेश दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फ़ोन पर बातचीत कर पाकिस्तान पर निशाना साधा है। मोदी ने ट्रंप से बातचीत के दौरान पाकिस्तान का नाम लिये बिना कहा है कि कुछ नेताओं द्वारा भारत विरोधी हिंसा को भड़काने वाली बयानबाज़ी की जा रही है और यह शांति के माहौल के अनुकूल नहीं है। मोदी से बातचीत के बाद ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को फ़ोन किया और पाकिस्तान को कड़ी नसीहत देते हुए कहा है कि वह भारत के ख़िलाफ़ नरम रुख अपनाए और बयानबाज़ी न करे।
बता दें कि बीते कुछ दिनों में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने लगातार भारत के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने वाले ट्वीट किये हैं। अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद पाकिस्तान की संसद में अपने पहले भाषण में ख़ान ने भारत में पुलवामा जैसे और हमले की गीदड़ भभकी दी थी।
इमरान ने पाकिस्तान की संसद में कहा था, ‘अगर भारत हम पर हमला करेगा तो हम इसका जवाब देंगे और ख़ून की अंतिम बूँद तक लड़ेंगे और इसके पूरी दुनिया में ख़तरनाक परिणाम होंगे।’ इमरान ने बीते रविवार को भारत के ख़िलाफ़ कई ट्वीट करके भारत सरकार को फासीवादी, नस्लवादी और नाज़ियों की विचारधारा पर चलने वाला बताया था।
प्रधानमंत्री मोदी और इमरान ख़ान से बातचीत के बाद ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि उन्होंने दो अच्छे दोस्तों से बात की है। ट्रंप के मुताबिक़, ‘उन्होंने व्यापारिक रिश्तों को मजबूत बनाने और भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने को लेकर बात की है। ट्रंप ने क्षेत्र में स्थिति को 'कठिन' बताते हुए कहा कि उनकी दोनों देशों के प्रधानमंत्री से अच्छी बात हुई है।’
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप से बातचीत के दौरान भारत के ख़िलाफ़ की जा रही बयानबाज़ी का मुद्दा उठाया। मोदी ने ट्रंप से कहा, ‘क्षेत्र में शांति के लिए आतंकवाद और हिंसा मुक्त माहौल तैयार करना होगा और सीमा पार से होने वाले आतंकवाद पर लगाम लगाए बिना ऐसा होना संभव नहीं है।’ पीएम मोदी ने ट्रंप से कहा, ‘यदि कोई भी देश शांति के इस रास्ते पर चलता है तो भारत उसका साथ देने के लिए तैयार है। इस रास्ते से ही गरीबी, अशिक्षा और बीमारियों से लड़ा जा सकता है।’ बताया गया कि दोनों देशों के प्रधानमंत्री के बीच यह बातचीत 30 मिनट तक चली।
दूसरी ओर व्हाइट हाउस की ओर से कहा गया कि ट्रंप की भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के दौरान दोनों देशों के रिश्तों पर बात हुई। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने और क्षेत्र में शांति स्थापित करने पर जोर दिया।
बता दें कि कुछ दिन पहले जब जम्मू-कश्मीर के मसले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में चर्चा हुई थी तब भी भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के अपने फ़ैसले को सही बताते हुए पुरजोर ढंग से कहा था कि यह उसका आतंरिक मामला है और इससे बाहरी लोगों का कोई लेना-देना नहीं है।
भारत ने पाकिस्तान को इस बात के लिए डाँट लगाई थी कि वह उसके आतंरिक मामलों में दख़ल दे रहा है और दुनिया को इस मुद्दे पर गुमराह कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा था, ‘हमारी राष्ट्रीय स्थिति यही थी और यही रहेगी कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है।’ सैयद अकबरुद्दीन ने भी इस बात पर जोर दिया था कि बातचीत शुरू करने के लिए पाकिस्तान को सीमापार से चल रहे आतंकवाद को ख़त्म करना होगा।
हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर में मध्यस्थता करने की बात कहकर सनसनी फैला दी थी। ट्रंप ने इमरान ख़ान के साथ एक मुलाक़ात के दौरान कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कश्मीर मामले पर मध्यस्थता करने की गुजारिश की थी। लेकिन तब भारत ने ट्रंप के इस बयान का जोरदार खंडन किया था।
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भारत का रुख इस बारे में पूरी तरह स्पष्ट है कि पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों पर द्विपक्षीय चर्चा की जाए। अगर भारत पाकिस्तान के साथ किसी तरह की बातचीत करेगा तो उसके लिए शर्त यही है कि पाकिस्तान को सीमा पार के आतंकवाद को ख़त्म करना होगा।
ट्रंप के बयान पर भारत के विदेश मंत्रालय की टिप्पणी
तब भारत के साथ-साथ अमेरिका में भी ट्रंप के बयान पर बवाल हो गया था। अमेरिकी मीडिया और कई सांसदों ने डोनाल्ड ट्रंप के बयान की आलोचना की थी।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और अनाप-शनाप बयानबाज़ी कर रहा है। वह कई देशों के सामने इस मुद्दे को उठा चुका है लेकिन लगभग सभी देशों ने इस पर उसे किसी तरह की मदद देने से इनकार कर दिया है। जानकारों के मुताबिक़, पाकिस्तान दुनिया भर का ध्यान कश्मीर की ओर खींचने के लिए बेताब है। क्योंकि इस मुद्दे पर उसे अमेरिका के साथ ही मुसलिम देशों से भी कोई मदद नहीं मिली है। इसलिए वह आतंकवादी हमलों की अपनी पुरानी रणनीति पर काम कर सकता है। बता दें कि पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी संगठन एक लंबे अरसे से कश्मीर में लोगों को भारत के ख़िलाफ़ भड़काने के काम में जुटे हुए हैं।
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