परिसीमन की जंग और भाषा का दंगल! एमके स्टालिन की डीएमके और मोदी-शाह की बीजेपी के बीच दक्षिण में सियासी तूफ़ान उठा है। अब इसमें संघ भी कूद पड़ा है। बेंगलुरु में शुक्रवार से शुरू हुई आरएसएस की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक नया सियासी रंग देखने को मिला। तीन-भाषा फ़ॉर्मूले और परिसीमन जैसे मुद्दों पर बढ़ते तनाव के बीच आरएसएस ने अपनी रणनीति को सावधानी से सामने रखा।
परिसीमन, भाषा विवाद: RSS की चाल, DMK पर वार, सियासी तूफ़ान!
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- 21 Mar, 2025
परिसीमन और भाषा विवाद पर दक्षिण भारत में बढ़ता सियासी तूफान! क्या RSS की रणनीति DMK पर सीधा हमला है? जानें कैसे यह मुद्दा चुनावी समीकरण बदल सकता है।

आरएसएस नेता सी आर मुकुंद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में परिसीमन को सरकार का फ़ैसला बताया और कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ़ कर दिया है कि दक्षिणी राज्यों को नुक़सान नहीं होगा। उन्होंने कहा, '543 लोकसभा सीटों में किसी दक्षिणी राज्य का मौजूदा अनुपात वही रहेगा।' यह बयान तमिलनाडु और दक्षिणी राज्यों के उस डर को शांत करने की कोशिश है, जिसे डीएमके और उसके नेता एमके स्टालिन जोर-शोर से उठा रहे हैं। स्टालिन का मानना है कि परिसीमन से दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटें कम हो सकती हैं, क्योंकि जनसंख्या नियंत्रण में उनकी सफलता उत्तरी राज्यों के मुकाबले उल्टा असर डालेगी। हालाँकि, बीजेपी की ओर से वादा किया जा रहा है कि दक्षिण की सीटें कम नहीं होंगी, लेकिन स्टालिन को संदेह है कि जब उत्तर भारत के राज्यों की सीटें बढ़ जाएंगी तो उसकी अपेक्षा दक्षिण की आवाज़ कमजोर हो जाएगी।