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कश्मीर के विवादित क्षेत्र का नैरेटिव गढ़ा- पुलिस; कोई चीनी प्रोपेगेंडा नहीं- न्यूज़क्लिक

न्यूज़क्लिक ने भले ही चीनी प्रोपेगेंडा के सभी आरोपों का खंडन किया है, लेकिन दिल्ली पुलिस ने अब कश्मीर और अरुणाचल को लेकर भी बड़ा आरोप लगा दिया है। इसने दावा किया है कि न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ ने कथित तौर पर एक नैरेटिव गढ़ने की साजिश रची थी कि कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश विवादित क्षेत्र हैं। पुलिस ने दावा किया है कि उन्हें इसके सबूत मिलने के बाद गिरफ्तार किया गया है।

न्यूज़क्लिक ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा, 'यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी चीनी संगठन या प्राधिकारी के आदेश पर कोई समाचार या सूचना प्रकाशित नहीं करता है, अपनी वेबसाइट पर चीनी प्रोपेगेंडा का प्रचार नहीं करता है, इसकी वेबसाइट पर प्रकाशित कंटेंट के मामले में नेविल रॉय सिंघम से निर्देश नहीं लेता है।' बयान में कहा गया है, 'न्यूज़क्लिक को प्राप्त सभी फंडिंग वैध बैंकिंग चैनलों के माध्यम से की गई है और कानून सम्मत अधिकारियों को जानकारी दी गयी है। ऐसा दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तय किए गए प्रावधानों के तहत किया गया है।'

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पुरकायस्थ को पोर्टल पर चीन समर्थक प्रोपेगेंडा के लिए फंड मिलने के आरोप के बाद आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत दर्ज मामले में गिरफ्तार किया गया। उनकी गिरफ्तारी के लिए रिमांड एप्लीकेशन में दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि उनके पास प्रबीर पुरकायस्थ और नेविल रॉय सिंघम के बीच ईमेल ट्रेल्स हैं, जिससे पता चलता है कि कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत का अंग नहीं दिखाने का उनका मकसद था।' एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने पुरकायस्थ और एक्टिविस्ट गौतम नवलखा की दोस्ती का भी हवाला दिया है।

पुरकायस्थ के साथ ही न्यूज़क्लिक के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया और बुधवार को 7 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार रिमांड एप्लीकेशन में पुलिस ने कहा, 'गुप्त इनपुट से पता चला है कि पुरकायस्थ, नेविल रॉय सिंघम और सिंघम के स्वामित्व वाली शंघाई स्थित कंपनी के कुछ अन्य चीनी कर्मचारियों ने मेल का आदान-प्रदान किया है जो कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा नहीं दिखाने के उनके इरादे को उजागर करता है।'

इंडिया टुडे ने भी रिपोर्ट दी है कि दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि उनके पास प्रबीर पुरकायस्थ और नेविल रॉय सिंघम के बीच ईमेल ट्रेल्स हैं, जिसमें चर्चा की गई है कि भारत का नक्शा कैसे बनाया जाए जहां कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को 'विवादित क्षेत्र' के रूप में दिखाया जाए।
इस साल अगस्त महीने में द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक जांच में आरोप लगाया गया था कि न्यूज़क्लिक दुनिया भर में चीनी प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देने के लिए सिंघम से जुड़े नेटवर्क से फंड लेने वाले संगठनों में से एक था।

ईडी ने 2018 और 2021 के बीच कथित तौर पर प्राप्त विदेशी फंड की जांच के तहत फरवरी 2021 में न्यूज़क्लिक के परिसर की तलाशी ली थी।

द इंडियन एक्सप्रेस ने ख़बर दी है कि अपने रिमांड एप्लीकेशन में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कहा कि गुप्त इनपुट थे कि भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने, भारत के खिलाफ असंतोष पैदा करने और भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा को खतरे में डालने के इरादे से साजिश रची गई। पुलिस ने कहा है कि इसके तहत भारत के दुश्मन भारतीय और विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में अवैध रूप से करोड़ों का विदेशी फंड निवेश किया गया है।

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अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार रिमांड एप्लीकेश में कहा गया है कि 4.27 लाख ईमेल के विश्लेषण से पता चला है कि आरोपी एक-दूसरे के सीधे संपर्क में थे और चर्चा कर रहे थे कि कश्मीर के बिना भारत का एक नया नक्शा कैसे बनाया जाए और अरुणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र के रूप में दिखाया जाए। इसमें दावा किया गया है कि इसके लिए उन्हें विदेशी फंड की आड़ में 115 करोड़ रुपये से अधिक मिले थे।

पुलिस ने एल्गार परिषद केस में आरोपी और घर में नज़रबंद गौतम नवलखा का नाम भी लिया है। इसने रिमांड एप्लीकेश में कहा है कि वह 2018 में इसकी स्थापना के बाद से न्यूज़क्लिक में शेयरधारक थे। इसमें कहा गया है, 'वह प्रतिबंधित नक्सली संगठनों को सक्रिय रूप से समर्थन देने और राष्ट्र-विरोधी सांठगांठ रखने जैसी भारत विरोधी और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल रहे।'

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इसमें यह भी कहा गया कि आरोपी ने सरकार के कोविड-19 प्रबंधन को बदनाम करने के लिए झूठी कहानी बनाई। इसमें यह भी दावा किया गया है कि अवैध विदेशी फंडिंग के माध्यम से किसानों के विरोध को लंबा करके संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने और नष्ट करने की साजिश रची गयी।

न्यूज़क्लिक ने बयान में कहा है, 'दिल्ली दंगों, किसानों के विरोध प्रदर्शन आदि पर रिपोर्ट के संबंध में दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा अपनाई गई पूछताछ की शैली - ये सभी मोटिवेटेड और दुर्भावनापूर्ण इरादे को दिखाते हैं। हमें अदालतों और न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है।'

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क़मर वहीद नक़वी
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