ऊँची जाति की युवती से शादी करने की क़ीमत दलित युवक को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। गुजरात के अहमदाबाद जिले के वारमोर गाँव में सोमवार शाम को यह घटना हुई। पुलिस के मुताबिक़, दलित जाति के युवक का नाम हरीश कुमार सोलंकी था और वह अपनी पत्नी उर्मिला ज़ाला को लेने के लिए अपनी ससुराल गया था। लेकिन इसी दौरान उसके ससुराल वालों ने उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने बताया कि 8 लोगों ने मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया। पुलिस ने हरीश के ससुर दशरथ सिंह ज़ाला को मुख्य अभियुक्त बनाया है।
हरीश कच्छ जिले के गाँधीधाम का रहने वाला था और उसने छह महीने पहले उर्मिला से शादी की थी। लेकिन उर्मिला के घर वाले इस शादी से ख़ुश नहीं थे और उसे मई में वापस लेकर चले गए थे। उर्मिला गर्भवती है और घटना के बाद से उसका कुछ पता नहीं चल रहा है।
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी ख़बर के मुताबिक़, ससुराल वालों के पत्नी को वापस न भेजने के कारण हरीश ने महिला हेल्पलाइन ‘अभयम 181’ की मदद ली। हरीश ने यह सोचा होगा कि महिला हेल्पलाइन टीम के समझाने से उर्मिला के घर वाले मान जाएँगे और उसे वापस उसके साथ भेज देंगे। महिला हेल्पलाइन की टीम हरीश और एक महिला कांस्टेबल के साथ उर्मिला के घर पहुँची और उर्मिला के माता-पिता को समझाने की कोशिश की। पुलिस ने बताया कि इस दौरान हरीश गाड़ी में ही बैठा रहा।
टीम की काउंसलर भाविका ने पुलिस को दी शिकायत में बताया, ‘टीम ने उर्मिला के परिजनों को समझाने की कोशिश की। उर्मिला के घर से निकलने तक शाम के 7 बज चुके थे। जब हम उर्मिला के घर से निकलकर अपनी गाड़ी में बैठ रहे थे तो तभी दथरथ सिंह के साथ 8 लोग वहाँ पहुँचे और हरीश को गाड़ी से बाहर खींचकर उस पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया। उन्होंने टीम के सदस्यों पर भी हमला किया।’ पुलिस उपाधीक्षक (एससी/एसटी प्रकोष्ठ) पीडी मानवर ने बताया कि अभियुक्तों को पकड़ने के लिए पुलिस की कई टीमें लगा दी गई हैं। मौक़े पर मौजूद लोगों से पूछताछ की जा रही है और अभियुक्तों को जल्द से जल्द गिरफ़्तार कर लिया जाएगा।
मौक़े पर मौजूद लोगों ने बताया कि उर्मिला के परिवार के लोग तब नाराज़ हो गए जब उन्हें पता चला कि हरीश भी महिला हेल्पलाइन की टीम के साथ आया हुआ है। मामले में दशरथ सिंह ज़ाला के अलावा, हसंमुख सिंह, जयदीप सिंह, अजय सिंह, अनूप सिंह, हरीश चंद्र सिंह, प्रगट सिंह और इंद्रजीत सिंह को अभियुक्त बनाया गया है। इनके ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 341 (गलत तरीक़े से रोकना), 332 (सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी करने से रोकना और उस पर हमला करना) आदि धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है। वीरामगाम के एसीपी प्रवीण मीणा ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, ‘हरीश की हत्या के बाद पूरा परिवार गाँव छोड़कर फरार हो गया है। हमें लगता है कि हरीश की पत्नी को जबरदस्ती अपने साथ ले जाया गया है और ऐसा लगता है कि उसे अपने परिजनों के हरीश की हत्या करने के इरादों का अंदाजा नहीं रहा होगा।’
हरीश के परिवार वालों का कहना है कि उर्मिला और हरीश की मुलाकात मेहसाणा जिले के एक कस्बे काडी में हुई थी। हरीश की माँ ने बताया कि हरीश ने 10वीं तक की पढ़ाई की थी और वह एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता था, कुछ साल पहले जब वह काडी कस्बे में एक हॉस्टल में रहता था तो वह उर्मिला से मिला था और उर्मिला वहीं एक गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी। दोनों ने आपसी रजामंदी से शादी की थी।
अब सवाल यह खड़ा होता है कि दलित युवक से शादी करने से ऊँची जाति के लोग आख़िर क्यों इस कदर भड़क गए कि उन्होंने अपनी ही बेटी के पति को बेरहमी से मार दिया। यह इस बात को दिखाता है कि समाज में जाति आधारित भेदभाव कितना गहरा है और लगता है कि अब यह नासूर बन चुका है। बेहद आधुनिक समय में भी दलितों को हेय दृष्टि से तो देखा ही जाता है, उनके साथ होने वाले अत्याचारों की भी एक लंबी दास्तां है। हाल ही में कई जगहों पर दलितों के साथ अत्याचार की घटनाएँ सामने आई हैं जबकि संविधान जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र के आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं देता। ऐसी घटनाओं को रोका जाना बेहद ज़रूरी है।
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