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हिंडनबर्ग के बंद होने का मतलब 'मोदानी' को क्लीन चिट थोड़ी न मिल गई?

शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद किए जाने की घोषणा के बाद कांग्रेस ने अडानी और पीएम मोदी पर हमला किया है। इसने कहा है कि वे ग़लतफहमी में नहीं रहें कि हिंडनबर्ग बंद हो गया तो उनको क्लीन चिट मिल गई।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक बयान जारी कर कहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने का यह मतलब नहीं है कि 'मोदानी' को क्लीन चिट मिल गई है। उनका यह बयान तब आया है जब हिंडनबर्ग रिसर्च फर्म के बंद होने की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर अडानी समूह और पीएम मोदी को लेकर तरह तरह की पोस्टें की जा रही हैं और मीम बनाए जा रहे हैं। इन पोस्टों में एक तरह से ऐसा संकेत दिया गया है कि अडानी के लिए अब रास्ते साफ़ हैं। अब मोदी समर्थक माने जाने वाले दिलीप मंडल ने कहा था, 'हिंडनबर्ग ने अपनी दुकान समेटने का फ़ैसला किया। सोरोस का खेल खत्म। अब जयराम रमेश और राहुल गांधी क्या करेंगे? इंडियन स्टेट के खिलाफ उनकी लड़ाई का क्या होगा?'

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बहरहाल, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस पर क्या कहा है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर हिंडनबर्ग रिसर्च और अडानी समूह का मामला क्या है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह को लेकर 2023 में रिपोर्ट जारी की थी। उस साल 24 जनवरी की एक रिपोर्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर स्टॉक में हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि उसने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इसकी जांच के लिए लगभग आधा दर्जन देशों में जाकर साइट का दौरा किया।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कैरेबियाई देशों, मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात तक फैले टैक्स हैवन देशों में अडानी परिवार के नियंत्रण वाली मुखौटा कंपनियों का कथित नेक्सस बताया गया था। तब से अडानी समूह ने लगातार इन आरोपों का खंडन किया है। तब हिंडनबर्ग रिसर्च के उस आरोप पर अडानी समूह ने कहा था कि दुर्भावनापूर्ण, निराधार, एकतरफा और उनके शेयर बिक्री को बर्बाद करने के इरादे से ऐसा आरोप लगाया गया। 

बाद में हिंडनबर्ग ने पिछले साल अगस्त में एक और रिपोर्ट जारी की थी जिसमें दावा किया गया था कि व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से पता चलता है कि सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल में इस्तेमाल की गई संदिग्ध ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी।

इसी संदर्भ में अब जयराम रमेश ने कहा है, 'जनवरी 2023 में आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट इतनी गंभीर साबित हुई थी कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय को उसमें अडानी ग्रुप के खिलाफ़ सामने आए आरोपों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने के लिए मजबूर होना पड़ा।' 

उन्होंने आरोप लगाया कि समूह का 'मुख्य संरक्षक कोई और नहीं बल्कि भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं'। उन्होंने एक बयान में कहा, 'हालांकि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन के केवल एक हिस्से को शामिल किया गया था। जनवरी-मार्च 2023 के दौरान हम अडानी के हैं कौन श्रृंखला में कांग्रेस पार्टी ने अडानी मेगा घोटाले पर पीएम से जो 100 सवाल पूछे थे, उनमें से केवल 21 सवाल हिंडनबर्ग रिपोर्ट में किए गए खुलासे से संबंधित थे।' 

जयराम रमेश ने आरोप लगाया, 'यह मामला कहीं ज़्यादा गंभीर है। इसमें राष्ट्रीय हित की क़ीमत पर प्रधानमंत्री के क़रीबी मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए भारतीय विदेश नीति का दुरुपयोग शामिल है। इसमें जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके भारतीय व्यापारियों को महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की संपत्तियों को बेचने और अडानी को हवाई अड्डों, बंदरगाहों, रक्षा और सीमेंट में एकाधिकार देने में मदद करने के लिए मजबूर करना शामिल है।' 

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उन्होंने आगे कहा कि इसमें सेबी, जिसे कभी बेहद सम्मान की नज़र से देखा जाता था, जैसे संस्थानों  पर कब्ज़ा किए जाने का मुद्दा शामिल है। उन्होंने कहा कि हितों के टकराव और अडानी से वित्तीय संबंधों के साफ़ सबूत होने के बावजूद सेबी की बदनाम अध्यक्ष अपने पद पर बनी हुई हैं। रमेश ने कहा कि यह ध्यान देने योग्य है कि सेबी की जांच, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए दो महीने का समय दिया था, लगभग दो साल तक सुविधाजनक रूप से टाला गया है और इसका कोई अंत नहीं दिख रहा है। 

उन्होंने कहा, 'मोदानी भले ही भारत की संस्थाओं पर कब्जा कर सकता है - और उसने ऐसा किया भी है - लेकिन देश के बाहर उजागर हुए अपराध को इस तरह से नहीं छिपाया जा सकता है। अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी पर आकर्षक सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया है।'

रमेश ने स्विस संघीय आपराधिक न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए दावा किया, 'स्विस लोक अभियोजक कार्यालय ने चांग चुंग-लिंग और नासिर अली शबन अहली द्वारा संचालित कई अडानी से जुड़े बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है, जिन पर धन शोधन और गबन सहित अवैध गतिविधियों में शामिल होने का संदेह है'। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे आपराधिकता के सबूत सामने आए हैं, कई देशों ने अपनी अडानी परियोजनाओं को रद्द कर दिया है।

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कांग्रेस नेता ने कहा कि ये सभी गंभीर पक्षपात और बेशर्मी से की गई आपराधिकता के गंभीर कृत्य हैं, जिनकी पूरी तरह से जांच केवल संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी द्वारा ही की जा सकती है। 

उन्होंने कहा है, 'अडानी द्वारा इंडोनेशिया से आयातित कोयले की ओवर इनवॉइसिंग के साफ़ सबूत सामने आए हैं जिसकी क़ीमत भेजे जाने और गुजरात के मुंद्रा पर पहुँचने के बीच रहस्यमयी ढंगे से 52 फ़ीसदी बढ़ी हुई मिली। जाँच में पाया गया कि अडानी से जुड़ी ट्रेडिंग फर्मों के माध्यम से 2021 और 2023 के बीच भारत से 12000 करोड़ की हेराफेरी की गई।' उन्होंने आगे कहा, 'ये और कुल मिलाकर 20 हज़ार करोड़ के अपारदर्शी फंड का इस्तेमाल चांग और अहली ने शेल कंपनियों के नेटवर्क से अडानी ग्रुप की कंपनियों में बेनामी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए किया। और जब ओवर इनवॉइसिंग की जा रही थी तब गुजरात में अडानी पावर से खरीदी गई बिजली की क़ीमतें 102 फीसदी बढ़ गईं।'

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया।)
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