सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों यानी ईडब्ल्यूएस आरक्षण मामले की सुनवाई करने वाली अपनी बेंच में बदलाव किया है। पहले ऑनलाइन की गई लिस्टिंग में कहा गया था कि इस मामले की सुनवाई बुधवार को न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की बेंच करेगी, लेकिन कुछ घंटे बाद यह साफ़ हुआ कि दो सदस्यीय बेंच ही सुनवाई करेगी। ताज़ा लिस्टिंग के अनुसार आज यानी बुधवार की केसों की सूची से पता चलता है कि जस्टिस चंद्रचूड़ और ए.एस. बोपन्ना मामले की सुनवाई करेंगे।
इससे पहले अदालत ने मंगलवार को एक सूची प्रकाशित की थी जिसमें दिखाया गया था कि जस्टिस चंद्रचूड़, सूर्यकांत और बोपन्ना की तीन न्यायाधीशों की 'विशेष पीठ' मामले की सुनवाई करेगी। अब स्पष्ट हुआ है कि जस्टिस सूर्यकांत भारत के मुख्य न्यायाधीश की बेंच में बैठे हैं।
ईडब्ल्यूएस आरक्षण के इस मामले में आरक्षण के लाभार्थियों की न्यूनतम आय सीमा 8 लाख रुपये होने पर सवाल उठाए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। याचिकाओं में अन्य पिछड़े वर्ग यानी ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों यानी ईडब्ल्यूएस के लिए एनईईटी-पीजी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मेडिकल काउंसलिंग कमेटी यानी एमसीसी की 29 जुलाई की अधिसूचना को चुनौती दी गई है। इसी सुनवाई के दौरान न्यूनतम आय सीमा 8 लाख होने का मुद्दा उठा है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पूछा था कि ईडब्ल्यूएस को आरक्षण के लिए अधिकतम आय की सीमा को 8 लाख रुपये कैसे तय किया गया है? यानी इसके लिए कौन सा तरीक़ा अपनाया गया है?
अक्टूबर महीने में अदालत ने कहा था, 'आप किसी भी तरह से 8 लाख रुपये तय नहीं कर सकते हैं। कुछ डेटा होना चाहिए। समाजशास्त्रीय, जनसांख्यिकीय।'
सरकार ने कहा कि अभी जब एनईईटी के छात्रों के लिए कॉलेजों का प्रवेश और आवंटन जारी है तब मानदंड में बदलाव करने से जटिलताएँ पैदा होंगी। सरकार ने कहा कि ईडब्ल्यूएस मानदंड संशोधन अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू किया जा सकता है।
बहरहाल, ईडब्ल्यूएस कोटा मुद्दे पर विवाद ने एनईईटी प्रवेश को इतना प्रभावित किया है कि पिछले सप्ताह राष्ट्रीय राजधानी में जूनियर डॉक्टरों ने इस देरी के ख़िलाफ़ 14 दिनों का विरोध शुरू किया था। विशेषज्ञ समिति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को ईडब्ल्यूएस मानदंड संशोधन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के सहमत होने के बाद विरोध को रोक दिया गया था।
वैसे, इस मामले पर सुनवाई 6 जनवरी के लिए तय की गई थी, लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार महेता बार बार सुप्रीम कोर्ट से कहते रहे कि कि जल्द इस मामले की सुनवाई हो जिससे एनईईटी की काउंसलिंग शुरू हो सके।
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