बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
जीत
बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
जीत
गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर
हार
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर में कभी भी चुनाव के लिए तैयार है। इसने कहा है कि चुनाव पर अब फ़ैसला चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोग को लेना है। केंद्र का यह बयान अनुच्छेद 370 को खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आया। केंद्र ने पहले तर्क दिया था कि जम्मू और कश्मीर एक अलग तरह का राज्य था और इसलिए विभाजन की ज़रूरत थी।
सरकार शीर्ष अदालत के उस सवाल का जवाब दे रही थी कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब कराए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 पर सुनवाई के 12वें दिन केंद्र सरकार ने दोहराया कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है, हालांकि उसने राज्य का दर्जा वापस देने के लिए समय सीमा तय करने से परहेज किया।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव के संबंध में सॉलिसिटर जनरल यानी एसजी ने कहा कि 'केंद्र सरकार अब किसी भी समय चुनाव के लिए तैयार है।' उन्होंने कहा, 'अभी तक मतदाता सूची को अपडेट करने का काम चल रहा था, जो काफी हद तक पूरा हो चुका है। कुछ हिस्सा बाकी है, जिसे चुनाव आयोग कर रहा है।' चुनाव के समय को लेकर एसजी ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग और भारतीय चुनाव आयोग मिलकर इस पर फैसला लेंगे। एसजी ने बताया कि त्रिस्तरीय चुनाव- पंचायत, नगर पालिका और विधान सभा चुनाव होने हैं। उन्होंने बताया कि लेह में हिल डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव ख़त्म हो गए हैं और करगिल में इसी महीने चुनाव होने हैं।
एसजी ने बताया कि क्षेत्र को स्थिर बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि 2019 से पहले की स्थिति की तुलना में आतंकवादी प्रेरित घटनाओं में 42.5% की कमी आई है। उन्होंने दावा किया कि घुसपैठ में 90.20% की कमी आई, कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरी और पथराव आदि में 92% की कमी आई है। सुरक्षाकर्मियों की हताहतों की संख्या में 69.5% की कमी आई है।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई सटीक समयसीमा नहीं दे सकती। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक संविधान पीठ से कहा,
“
मैं पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए सटीक समय अवधि देने में असमर्थ हूं, जबकि यह कह रहा हूं कि केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा एक अस्थायी स्थिति है।
तुषार मेहता, भारत के सॉलिसिटर जनरल
मंगलवार को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र बहाल करने की आवश्यकता पर जोर दिया था, जो जून 2018 से निर्वाचित सरकार के बिना है। गुरुवार की सुनवाई के दौरान केंद्र ने हालांकि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई समय सीमा देने से इनकार कर दिया।
लद्दाख के नेताओं और याचिकाकर्ताओं ने सॉलिसिटर जनरल के इस बयान पर निराशा व्यक्त की है कि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा। पिछले दो वर्षों में क्षेत्र को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लद्दाख में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद केंद्र ने कहा था कि वह सही समय पर राज्य का दर्जा बहाल करेगा। गृहमंत्री अमित शाह ने भी यही बात दोहराई है लेकिन इस तरह के कदम के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें