घर लौटने वाले प्रवासी मज़दूरों से रेल भाड़ा वसूलने के मुद्दे पर बना विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसके उलट यह और बढ़ता ही जा रहा है। केंद्र सरकार ने इस पर सफ़ाई देते हुए कहा है कि उसने राज्य सरकारों से कभी नहीं कहा कि वह इन मज़दूरों से भाड़ा वसूले। केंद्र ने यह भी कहा है कि रेलवे भाड़ा में 85 प्रतिशत की छूट ख़ुद दे रहा है, सिर्फ 15 प्रतिशत राज्य सरकारों को देना है।
क्या कहना है केंद्र का?
यह दिलचस्प है कि इस मामले पर सफ़ाई रेल या गृह मंत्रालय ने नहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी है।स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा,“
'ख़ास आग्रह मिलने पर हमने विशेष ट्रेनें चलाने की छूट दी। हम इस पर पड़ने वाला खर्च बाँट रहे हैं, केंद्र 85 प्रतिशत और राज्य सरकार 15 प्रतिशत दें। हमने राज्य सरकारों से कभी नहीं कहा कि वे इन फँसे हुए मज़दूरों से भाड़ा वसूले।'
लव अग्रवाल, संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय
क्या कहता है रेलवे का दिशा निर्देश?
पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी. के. यादव ने यह साफ़ शब्दों में माना है कि लौट रहे मज़दूरों को मुफ़्त यात्रा की सुविधा नहीं दी जाएगी। उन्होंने इसका कारण भी बताया है।रेलवे ने अपने दिशा निर्देश में साफ़ कहा है कि वह रेल टिकट राज्यों को देगा और राज्य मुसाफ़िरों से पैसे वसूल कर उसे दे देगा।
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