कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा है कि जांच एजेंसी सीबीआई की कार्रवाई से सांसद के रूप में मिले उन्हें विशेष अधिकारों और हकों का उल्लंघन हुआ है।
बता दें कि सीबीआई ने कुछ दिन पहले कार्ति चिदंबरम के चेन्नई, मुंबई, ओडिशा और दिल्ली स्थित घर और दफ्तरों पर छापेमारी की थी और इस दौरान उनके सहयोगियों के ठिकानों को भी खंगाला गया था। यह छापेमारी वीजा घोटाले में की गई थी।
लोकसभा स्पीकर को पत्र
चिदंबरम ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि सीबीआई की कथित छापेमारी के दौरान कुछ अफसरों ने उनके बेहद गोपनीय और संवेदनशील दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले लिया।
पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने कहा है कि उनके ड्राफ्ट नोट्स और ऐसे सवाल लिखे हुए पेपर जिन्हें वह समिति के द्वारा बुलाए गए गवाहों से पूछना चाहते थे, उन्हें भी सीबीआई के अफसरों ने अपने कब्जे में ले लिया।
कांग्रेस सांसद ने कहा है कि सीबीआई की कार्रवाई सांसद के तौर पर उन्हें मिले अधिकारों पर सीधा हमला है। उन्होंने लोकसभा स्पीकर से अपील की है कि वह इस मामले का तुरंत संज्ञान लें।
कांग्रेस सांसद ने पत्र में कहा है कि उन्हें और उनके परिवार को जांच एजेंसियों द्वारा अभियान चलाकर लगातार निशाना बनाया जा रहा है और ऐसा करके हमारी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है।
वीजा घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने कार्ति चिदंबरम के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है।
क्या है वीजा घोटाला?
सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम के खिलाफ कथित तौर पर अवैध रिश्वत लेने के लिए एक नया मुकदमा दर्ज किया है। आरोप है कि कांग्रेस सांसद ने 2010 से 2014 के बीच कथित रूप से 50 लाख रुपये की रिश्वत ली थी। आरोप है कि यह रिश्वत उन्होंने पंजाब के तलवंडी साबो में चल रहे एक पावर प्रोजेक्ट में 250 से ज़्यादा चीनी नागरिकों को वीजा दिलाने के एवज में ली थी।
यह पावर प्रोजेक्ट अपने पूरा होने के तय कार्यक्रम से काफी पीछे चल रहा था इसलिए किसी तरह के जुर्माने और पावर प्रोजेक्ट के काम में देरी से बचने के लिए तलवंडी साबो पावर लिमिटेड को कुछ और चीनी कर्मचारियों की जरूरत थी। लेकिन गृह मंत्रालय के नियम चीनी कर्मचारियों को वीजा दिलाने में आड़े आ रहे थे।
इसलिए कंपनी ने कार्ति चिदंबरम से संपर्क किया और वीजा नियमों को किनारे करते हुए 250 से ज्यादा चीनी कर्मचारियों को वीजा मिल गया। जिस महीने वीजा के लिए आवेदन किया गया, उसी महीने में गृह मंत्रालय ने इन कर्मचारियों के वीजा को स्वीकृति दे दी।
आरोप है कि कंपनी की ओर से फर्जी बिलों के जरिये कार्ति चिदंबरम को मोटी रिश्वत दी गई।
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