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पीएम मोदी यूएस राष्ट्रपति और कनाडा के पीएम के साथ। ये तस्वीर जी20 के दौरान की है।

कनाडा विवादः भारत पर यूएस और ब्रिटेन क्यों बना रहे दबाव

अमेरिका और ब्रिटेन ने भारत से आग्रह किया कि वो कनाडा पर भारत में अपनी राजनयिक उपस्थिति कम करने पर जोर न दे। दोनों देशों ने सिख अलगाववादी की हत्या पर विवाद के बीच कनाडा द्वारा 41 राजनयिकों को बाहर निकालने पर चिंता जताई। जून में कनाडा के वैंकूवर में कनाडाई नागरिक और खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगा था। भारत ने आरोप से इनकार किया है। हालांकि भारत ने निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था और उस पर इनाम भी था। इधर कई खालिस्तानी नेताओं की मौत विदेश में हुई है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने शुक्रवार को कहा, "भारत में कनाडा के राजनयिकों के भारत से जाने से चिंतित हैं।" मिलर ने अपने बयान में कहा- "मतभेदों को सुलझाने के लिए जमीनी स्तर पर राजनयिकों की जरूरत होती है। हमने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह कनाडा की राजनयिक उपस्थिति में कमी पर जोर न दे और कनाडाई जांच में सहयोग करे। हम उम्मीद करते हैं कि भारत राजनयिक संबंधों पर 1961 वियना कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों को बनाए रखेगा। साथ ही कनाडा के राजनयिक मिशन के मान्यता प्राप्त सदस्यों को प्राप्त विशेषाधिकारों का भी सम्मान करेगा।''

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वाशिंगटन ने कहा है कि उसने कनाडा के आरोपों को गंभीरता से लिया है। अमेरिका के साथ-साथ ब्रिटेन ने भी भारत से हत्या की जांच में कनाडा के साथ सहयोग करने का आग्रह किया है। आमतौर पर पश्चिमी देश भारत की खुले तौर पर निंदा करने में अनिच्छुक रहे हैं। लेकिन अमेरिका और ब्रिटेन अब भारत पर सीधे दबाव बना रहे हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि चीन की वजह से अमेरिका, कनाडा समेत तमाम पश्चिमी देश भारत पर दबाव नहीं बना पा रहे हैं लेकिन ज्यादातर कनाडा का ही समर्थन कर रहे हैं। एशिया में चीन पश्चिमी देशों का मुख्य प्रतिद्वंदी है। भारत-चीन संबंध कभी अच्छे नहीं रहे। पश्चचिमी देश मानते हैं कि काफी हद तक भारत की वजह से संतुलन बना रहता है। लेकिन अमेरिकी विदेश विभाग और ब्रिटेन के विदेश कार्यालय के शुक्रवार के बयान इस मामले में वाशिंगटन और लंदन द्वारा नई दिल्ली की अब तक की सबसे सीधी आलोचना वाले स्वर हैं। जो भारत के लिए चिंता का विषय होना चाहिए

ब्रिटेन के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने भी साफ शब्दों में कहा, "हम भारत सरकार द्वारा लिए गए फैसलों से सहमत नहीं हैं, जिसके नतीजे में कई कनाडाई राजनयिकों को भारत छोड़ना पड़ा।" ब्रिटेन के विदेश कार्यालय ने भी वियना कन्वेंशन का हवाला दिया। बयान में कहा गया, "राजनयिकों की सुरक्षा प्रदान करने वाले विशेषाधिकारों और छूट को एकतरफा हटाना वियना कन्वेंशन के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है।"

कनाडा के बाद अमेरिका और ब्रिटेन की भारत पर दबाव बनाने की खास वजह ये भी है कि इन तीनों देशों में सिखों की बहुत लॉबी है। वे तीनों देशों के चुनाव तक प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। जिसमें कनाडा में तो सिख ऐसे रच-बस गए हैं कि वे अब उसे दूसरा पंजाब मानते हैं। इसलिए सिखों के मुद्दे पर भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका और ब्रिटेन के बयानों से साफ हो गया है कि वो सिखों के मुद्दे पर कनाडा के साथ खड़े हैं।


निज्जर की हत्या पर कनाडा के आरोपों के बाद भारत ने पिछले महीने कनाडा को अपनी राजनयिक उपस्थिति कम करने के लिए कहा था। इसके बाद, जिसके बाद कनाडा ने भारत से अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया। कनाडा ने शुक्रवार को कहा कि वह कई भारतीय शहरों में वाणिज्य दूतावासों में व्यक्तिगत संचालन को अस्थायी रूप से निलंबित कर रहा है और वीजा प्रोसेस में देरी की चेतावनी दी है।

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ट्रूडो ने फिर साधा निशाना

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि राजनयिकों की राजनयिक छूट रद्द करके, भारत ने कूटनीति के एक बहुत ही बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन किया है। शुक्रवार को भारत के खिलाफ अपना हमला जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने वियना कन्वेंशन के नियमों का उल्लंघन किया है और दुनिया के सभी देशों को इस कदम से चिंतित होना चाहिए। उन्होंने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का विषय भी उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि नई दिल्ली भारत और कनाडा में लाखों लोगों के लिए जीवन को सामान्य रूप से जारी रखने को अविश्वसनीय रूप से कठिन बना रही है। यानी ट्रूडो ने यह कहना चाहा है कि कनाडा में रह रहे भारतीयों के लिए भारत सरकार मुश्किल पैदा कर रही है। यह एक तरह की धमकी है।

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कनाडा के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि उसकी कार्रवाई से अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हुआ है।

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क़मर वहीद नक़वी
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