यौन उत्पीड़न का आरोप झेल रहे बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस ने तो अब चार्जशीट पेश कर दी है और इसकी कई बातें सामने आ चुकी हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ओवरसाइट कमेटी की रिपोर्ट में क्या था? महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों पर बृजभूषण सिंह ने ओवरसाइट कमेटी के सामने क्या जवाब दिया था?
महिला पहलवानों द्वारा लगाया गया एक प्रमुख आरोप यह है कि बृजभूषण सिंह ने कथित तौर पर साँस जाँचने के बहाने छाती और पेट को छुआ। जब उन्होंने 28 फरवरी को सरकार द्वारा नियुक्त ओवरसाइट समिति के सामने गवाही दी तो बृजभूषण सिंह ने सभी आरोपों से इनकार किया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सिंह ने साँस लेने के पैटर्न की जांच करने के लिए योग अभ्यास का हवाला दिया था। उन्होंने पुरुष और महिला पहलवानों के लिए अलग प्रशिक्षण शिविर रखने के अपने फैसले का बचाव करने के लिए धर्मग्रंथों का हवाला दिया। संसद में पारित यौन उत्पीड़न कानूनों के बारे में उन्होंने कहा कि उनको इसके बारे में पता नहीं था जबकि वह खुद ही सांसद हैं।
बृजभूषण सिंह के बयान वाली 24 पेज की ओवरसाइट कमेटी की रिपोर्ट की एक कॉपी को चार्जशीट के साथ अदालत में पेश किया गया है। अंग्रेजी अख़बार के अनुसार एमसी मैरी कॉम की अगुवाई वाली ओवरसाइट कमेटी की सुनवाई के दौरान एक पहलवान ने शिकायत की थी कि बृजभूषण सिंह ने उसके 'पेट और छाती को 3-4 बार छुआ और उसके सांस लेने के तरीके पर टिप्पणी की थी'। रिपोर्ट के अनुसार हालांकि, बृजभूषण सिंह ने आरोप से इनकार किया और कहा कि सांस लेने का सही तरीका दिखाने के लिए उन्होंने अपने खुद के पेट को छुआ था।
रिपोर्ट के अनुसार बृजभूषण सिंह ने समिति को बताया था कि वह यह याद नहीं कर पा रहे हैं कि घटना कहाँ हुई थी लेकिन एक टूर्नामेंट के दौरान उन्होंने एक अन्य महिला पहलवान और एक कोच के साथ विचार किया कि शिकायतकर्ता मुकाबले के दौरान गलत निर्णय क्यों ले रही थी। उन्होंने समिति को बताया, 'तो हमने कहा कि उसका सांस लेने का तरीका उल्टा है। मैडम, मैं इसका शिकार हो चुका हूं। लगभग 20 वर्षों तक मैं ठीक से सो नहीं सका। एक घटना घटी थी, मेरे बेटे ने आत्महत्या कर ली थी और मुझे योग में सुकून मिला। मुझे बताया गया कि चूंकि मेरी सांस लेने का पैटर्न उल्टा है, इसलिए मैं सो नहीं पा रहा हूं।'
लखनऊ में भारतीय खेल प्राधिकरण के केंद्र में महिला राष्ट्रीय शिविर आयोजित करने के महासंघ के फैसले पर पैनल के विभिन्न सदस्यों द्वारा बृजभूषण सिंह से पूछताछ की गई। एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में लखनऊ में कैंप में मौजूद एक महिला पहलवान के पूर्व फिजियोथेरेपिस्ट परमजीत मलिक ने पैनल को बताया कि रात में लगभग 10 या 11 बजे एक कार आती थी और कुछ 'जूनियर पहलवानों' को कैंप से बाहर ले जाती थी। मलिक ने कहा कि उन्होंने इसे मुख्य कोच के संज्ञान में लाया तो इसे रोकने के लिए कदम उठाए जाने के बजाय, मलिक का नाम शिविर से काट दिया गया।
अपने बचाव में बृजभूषण ने तर्क दिया कि उनके 'अनुभव के अनुसार, पुरुषों और महिलाओं के लिए शिविर एक ही स्थान पर आयोजित नहीं किए जाने चाहिए।' बृजभूषण ने कहा, 'मैंने अधिकारियों को लखनऊ में शिविर आयोजित करने के लिए नहीं कहा था। मैंने उनसे कहा कि इसे अलग परिसर में रखें वरना इसका असर उनकी ट्रेनिंग पर पड़ेगा। यहाँ तक कि पहलवानों के माता-पिता ने भी मुझसे दोनों खेमों को अलग करने के लिए कहा।'
जब समिति के सदस्यों ने इस बात पर दबाव डाला कि इस विषय पर खिलाड़ियों की राय क्यों नहीं ली जानी चाहिए, जबकि पुरुष और महिला पहलवान अखाड़ों के साथ-साथ विदेशों में भी एक साथ प्रशिक्षण लेते हैं, तो बृजभूषण ने कहा, 'ऐसा बाहर नहीं होता है। जवान भाई बहन एक साथ क्यों नहीं सोते? ये महिला यूनिवर्सिटी, महिला कॉलेज क्यों है? …हमारे शास्त्रों में कहा गया है भाई बहन एक साथ एकांत में ना रहें। अब हम लोगों ने कह रखा है तो इसपर बहुत बड़ी बहस हो जाएगी।'
सिंह से यह भी पूछा गया कि महासंघ के पास सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए शिकायत समिति क्यों नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि 'आज तक एक भी बच्चा शिकायत लेकर नहीं आया है।' छह बार के सांसद ने कहा, 'अगर ऐसा कोई नियम बनाया गया है, जिसमें कहा गया है कि एक महिला को (समिति का) हिस्सा होना चाहिए, और अगर हमें पता होता, तो हम निश्चित रूप से ऐसा करते।' जब उन्हें याद दिलाया गया कि ऐसा नियम पहले से मौजूद है और 2013 में इस आशय का एक अधिनियम संसद में पारित किया गया था, तो सिंह ने जवाब दिया, 'ठीक है, मैं स्वीकार करता हूं कि मैंने वह नहीं किया है जो मुझे करना चाहिए था। भविष्य में ऐसा करेंगे... जब भी कोई घटना होती है, तब ये विषय उठाए जाते हैं।'
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