अलग चाल-चरित्र-चेहरा होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर विवादों के घेरे में है और उस पर सवाल उठ रहे हैं। कोई समझौता किए बग़ैर आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ने की बात करने वाली बीजेपी ने उस कंपनी से चंदा लिया, जिस पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पैसे देने का आरोप है। बीजेपी की ओर से चुनाव आयोग को जमा किए गए काग़ज़ात से इसका खुलासा हुआ है।
क्या है मामला?
बीजेपी की ओर से ज़मा किए गए दस्तावेज़ के अनुसार, बीजेपी ने आरकेडब्लू डेवलपर्स लिमिटेड से 10 करोड़ रुपए बतौर चंदा लिए। इस कंपनी ने इक़बाल मेमन उर्फ़ इक़बाल मिर्ची की एक जायदाद ख़रीदी थी। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी इससे जुड़े लेनदेन की जाँच कर रही है।
बता दें कि इक़बाल मेमन 1993 के मुंबई धमाकों के मुख्य अभियुक्त दाऊद इब्राहिम का नज़दीकी तो है ही, धमाकों में उसका नाम भी आया था। ईडी इस मामले की जाँच कर रही है कि क्या आरकेडब्लू का लेनदेन टेरर फन्डिंग की जद में आता है। कंपनी के निदेशक रंजीत बिंद्रा को पुलिस ने गिरफ़्तार किया था। यह कहा गया था कि बिंद्रा ही वह व्यक्ति थे, जिन्होंने इक़बाल मिर्ची से सौदा किया था।
आरकेडब्लू डेवलपर्स के एक निदेशक प्लैसिड जेकब नरोन्हा भी थे। वह एक दूसरी कंपनी दर्शन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के भी निदेशक थे। इस कंपनी ने 2016-17 में 7.50 करोड़ रुपए बीजेपी को दिए थे।
इक़बाल मिर्ची ने जिस कंपनी सनब्लिन्क से सौदा किया था, वह एक दूसरी कंपनी से जुड़ी हुई थी, उस कंपनी ने भी 2014-15 में 2 करोड़ रुपये बीजेपी को दिए थे। ये सारे खुलासे ख़ुद बीजेपी ने ही किये हैं। उसने चुनाव आयोग को दिए शपथ पत्र में इन चंदों की बात कही है।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मुंबई बम धमाकों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता प्रफुल पटेल को निशाने पर लिया था और पार्टी पर आरोप लगाया था कि इक़बाल मेमन के साथ तार जुड़े होने की वजह से ही उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की गई। मोदी ने कहा था :
“
हम मुंबई हमलों के घाव नहीं भूल सकते। उस समय की सरकार ने इन धमाकों के पीड़ितों के साथ न्याय नहीं किया और उसकी वजह अब सामने आ रही है। बम धमाकों से जुड़े लोगों को पकड़ने के बजाय जो लोग सत्ता में थे, वे मिर्ची के व्यवसाय में लिप्त थे।
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने इक़बाल मिर्ची का नाम नहीं लिया, पर मिर्ची व्यवसाय की बात कह कर उन्होंने इशारा तो उसकी ओर ही किया था। अब यह भी पता चल रहा है कि उनकी पार्टी ने तो इक़बाल मिर्ची से जुड़ी कंपनियों से करोड़ रुपये का चंदा लिया था।
चुनाव आयोग को दी गई जानकारियों के मुताबिक़, बीजेपी ने 2014-15 और 2015-16 के दौरान 2.50 करोड़ रुपए उस कंपनी से लिए थे, जो ‘भैंस का मांस’ निर्यात करती है।
चुनाव आयोग को सौंपे गए शपथ पत्र के अनुसार, बीजेपी ने फ्रिगोरिफिको अल्लाना, फ्रिगोरिफिको कनवर्वा अल्लाना और इन्डैग्रो फूड्स से पैसे लिए थे। ये पैसे अलग-अलग चार बैंक लेनदेन से लिए गए थे। ये लेनदेन विजया बैंक से हुए थे।
अल्लाना की वेबसाइट पर भैंस के मांस की जानकारीhttp://www.allana.com/proteins/
अल्लाना ने अपनी वेबसाइट पर दावा किया है कि वह भैंस का फ्रोज़न और बोनलेस मीट का देश का सबसे बड़ा निर्यातक है। व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि जब भैंस के मांस की बात कही जाती है तो उसमें गाय का मांस भी शामिल समझा जाता है। दोनों को साझा तौर पर बीफ़ कहा जाता है। पर भारत में संवेदनशीलता की वजह से कंपनियाँ इसे बफ़ैलो मीट यानी भैंस का मांस कहती हैं।
ये बातें महत्वपूर्ण इसलिए है कि अब राजनीतिक दल इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा लेने लगे हैं। इलेक्टोरल बॉन्ड बेयरर चेक की तरह होता है, यानी जिसके पास होता है, उसे ही पैसे मिल जाते हैं। इसमें न तो पैसे देने वाले का नाम होता है न ही लेने वाले। बस बॉन्ड खरीद कर उस दल को दे दिया जाता है। इस वजह से अब यह पता नहीं चल सकता कि किसने किससे कब कितने पैसे लिए या लिए भी कि नहीं। इस खेल में बीजेपी ही नहीं, तमाम राजनीतिक दल हैं। पर बीजेपी चूँकि सत्तारूढ़ दल है, लिहाज़ा, उसे सबसे ज़्यादा चंदा भी मिलता है। लेकिन अब यह पता नहीं चल सकेगा कि बीजेपी ने किससे पैसे लिए।
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