फ्लाइट में पीएम मोदी के खिलाफ नारा लगाने पर गिरफ्तार किए जाने के मामले में तमिलनाडु सरकार को दो लाख का मुआवजा पीड़ित लड़की को देना होगा। तमिलनाडु के राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को कनाडा में रहने वाली तमिल छात्रा लुइस सोफिया के पिता को 2 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। सोफिया ने कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाए थे, इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर किया गया था।दरअसल, नारेबाजी के दौरान ही चेन्नई-थूथुक्लुडी फ्लाइट में तत्कालीन तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष तमिलिसाई सुंदरराजन के साथ सोफिया की तीखी बहस भी हुई थी।
बीजेपी नेता को देखते ही सोफिया कथित तौर पर अपनी सीट से उठ गईं और केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। थूथुकुडी एयरपोर्ट पर जब फ्लाइट उतरी तो वहां जमा बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सोफिया और उनके पैरंट्स को घेर लिया और कथित तौर पर उन्हें डॉ. तमिलिसाई से माफी मांगने को कहा। उन लोगों ने सोफिया के पैरंट्स को भी एयरपोर्ट से बाहर निकलने से रोक दिया।इसके बाद थूथुकुडी एयरपोर्ट पुलिस के इंस्पेक्टर निथ्या ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को शांत किया। पुलिस सोफिया को पुदुकोट्टई पुलिस थाने ले गई, जबकि डॉ सैमी को थाने के बाहर इंतजार करने के लिए कहा। पुलिस ने सोफिया से सात घंटे तक पूछताछ की और गिरफ्तार कर लिया।कोर्ट में पेश करने के बाद उसे जूडिशल हिरासत में भेज दिया गया। सोफिया को पेट में दर्द हुआ, इसलिए उन्हें थूथुकुडी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
राज्य मानवाधिकार आयोग से की गई शिकायत में डॉ. सामी ने आरोप लगाया था कि पुलिस अधिकारी थिरुमलाई, ए.के. लता, पुलिस उप-निरीक्षक, पुदुकोट्टई; वी. पोनरामू, एडीएसपी आदि ने उनकी बेटी से पूछताछ करके उसे "प्रताड़ित" किया और उससे कुछ कागजात पर साइन करने के लिए कहा।
डॉ. सैमी ने राज्य मानवाधिकार आयोग से कहा कि पुलिस अधिकारियों की कार्रवाई से और उनकी बेटी पर फर्जी मामला दर्ज करने से उन्हें मानसिक पीड़ा हुई है। इसके अलावा इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी उल्लंघन हुआ है, इसलिए इन पर कार्रवाई की जाए। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ऐसी घटनाओं में आरोप को जेल नहीं भेजा जाना चाहिए। तमिलनाडु मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार से कहा कि वो सोफिया के पिता को दो लाख का मुआवजा अदा करे। पुलिस का आरोपों से इनकार
पुलिस अधिकारियों ने सोफिया के पिता के आरोपों का सख्ती से खंडन किया। उन्होंने कहा कि सोफिया ने हवाईअड्डे जैसे हाई सिक्योरिटी वाले स्थान पर बवाल किया था और अपने अधिकारों का उल्लंघन करते हुए एक सह-यात्री (डॉ. तमिलिसाई) पर चिल्लाई थीं। पुलिसकी जांच के बाद सोफिया को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए उन्हें और उनके रिश्तेदारों को हिरासत में लेने की सूचना दी गई थी।मानवाधिकार आयोग के सदस्य डी. जयचंद्रन ने कहा -
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सोफिया की गिरफ्तारी उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के लिए बिल्कुल भी जरूरी नहीं थी और माना कि पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय प्रक्रिया का पालन किए बिना सोफिया को गिरफ्तार कर लिया था। चूंकि पुलिस कार्रवाई से उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है, इसलिए डॉ. सैमी को ₹2 लाख दिए जाने चाहिए। इन पैसों की वसूली पुलिस अधिकारियों से राज्य सरकार करे। इसके अलावा इन लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।
डी. जयचंद्रन, सदस्य, तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग
आदेश में कहा गया है कि एक महीने के भीतर डॉ. सैमी को मुआवजे का भुगतान करने के बाद, तमिलनाडु सरकार को सभी सातों पुलिस अफसरों से वो पैसा वसूलना चाहिए।
इसके अलावा, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को पुलिस को निर्देश देना चाहिए कि वे किसी को भी ऐसे गिरफ्तार न करें, जहां अपराध में सात साल से कम की अवधि के लिए जेल भेजा जाता हो या जो जुर्माना के साथ या बिना सात साल तक बढ़ाया जा सकता हो।आयोग का धन्यवाद फैसले के बाद आयोग को धन्यवाद देते हुए, सोफिया ने कहा कि उन्हें पुलिस ने गैरकानूनी रूप से हिरासत में लिया था। पुलिस ने शुरू से ही कानून की धज्जियां उड़ाईं और सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय गिरफ्तारी नियमों को तोड़ा।
एफआईआर में लिखी गई सारी बातें तो झूठ थी ही, बल्कि पुलिस ने गैर-जमानती धारा को शामिल करने के लिए उसका भी दुरुपयोग किया। मुझे उम्मीद है कि यह निर्णय पुलिस अधिकारियों को राजनीतिक दबाव में न झुकने और कानून की प्रक्रिया का पालन करने की दिशा में एक छोटा सा रास्ता तय करेगा।
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