गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि बीजेपी नेताओं के नफ़रत वाले बयान के कारण दिल्ली चुनाव में नुक़सान हुआ होगा। उनका यह बयान दिल्ली विधानसभा में बीजेपी को बड़ी हार मिलने के बाद पहली बार आया है। अमित शाह ने यह साफ़ नहीं किया है कि उनका यह बयान क्या उनके उस बयान पर भी लागू होता है जिसमें उन्होंने एक चुनाव रैली में कहा था कि बटन ऐसा दबाना जिससे शाहीन बाग़ को करंट लगे। हालाँकि, उन्होंने सफ़ाई में इतना ज़रूर कहा कि यह उनके समझाने का तरीक़ा है। बीजेपी को इस चुनाव में सिर्फ़ आठ सीटें ही मिली हैं जबकि आम आदमी पार्टी को 62 सीटें मिली हैं। अमित शाह का यह बयान इसलिए काफ़ी अहम है क्योंकि अमित शाह ने ही चुनावी रैलियों का नेतृत्व किया।
उनकी यह प्रतिक्रिया इसलिए भी ख़ास है क्योंकि चुनाव में हार के लिए बीजेपी और गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना हो रही है। ज़्यादा आलोचना इसलिए हो रही है कि बीजेपी ने दिल्ली चुनाव जीतने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इसके लिए साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने से लेकर, हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और बीजेपी नेताओं के भड़काऊ भाषण तक का सहारा लिया गया। ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया गया जिसे क़तई इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। कहा जाता है कि अमित शाह की रणनीति ही थी कि तमाम मंत्रियों और बड़ी संख्या में सांसदों को लगाया गया। शाह डोर-टू-डोर कैंपेन में लगे रहे और पार्टी कार्यकर्ताओं से फ़ीडबैक लेते रहे। लेकिन अब अमति शाह ने साफ़ कहा है कि 'गोली मारो...', 'भारत-पाकिस्तान मैच' जैसे नफ़रत वाले बयान नहीं दिए जाने चाहिए थे।
क्या बोले थे योगी?
योगी ने एक रैली में कहा था कि कश्मीर में आतंकवादियों का समर्थन करते हैं, वे लोग शाहीन बाग़ में धरना दे रहे हैं और आज़ादी के नारे लगा रहे हैं। योगी ने अरविंद केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया था कि वह शाहीन बाग़ में बैठे प्रदर्शनकारियों को बिरयानी की सप्लाई कर रही है। एक अन्य रैली में योगी ने कहा था, 'अभी तो केजरीवाल जी ने हनुमाना चालीसा ही पढ़नी शुरू की है, आप देखना आगे आगे होता क्या है, ओवैसी भी एक दिन हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ता दिखाई देगा।’ अपनी एक सभा में योगी ने यह भी कहा था कि हम आतंकवादियों को बिरयानी नहीं खिलाते, गोली खिलाते हैं। काँवड़ियों की चर्चा करते हुए उन्होंने धमकी भरी भाषा में कहा था कि काँवड़ियों का विरोध करने वालों पर बोली नहीं, गोली से जवाब दिया जाएगा।अमति शाह ने भी दिया था नफ़रत वाला बयान
दिल्ली की एक रैली में ख़ुद अमित शाह ने कहा था, ‘जब आप 8 फ़रवरी को वोटिंग मशीन का बटन दबाएँ तो इतने ग़ुस्से से दबाना कि बटन यहाँ बाबरपुर में दबे और इसका करंट शाहीन बाग़ में लगे।’
इस बयान को भी नफ़रत वाला बयान के तौर पर देखा गया था और इसकी काफ़ी आलोचना हुई थी। बता दें कि शाहीन बाग़ में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन चल रहा है और नागरिकता क़ानून को धार्मिक आधार पर भेदभाव करने वाला बताया जा रहा है। बीजेपी शाहीन बाग़ के प्रदर्शन को मुसलिमों का प्रदर्शन बताने की कोशिश कर रही है। बीजेपी पूरे चुनाव में शाहीन बाग़, पाकिस्तान, हिंदू-मुसलमान को राजनीतिक मुद्दा बनाए हुए थी।
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