क्या मोदी सरकार कश्मीर पर आज कोई बड़ा फ़ैसला लेने वाली है? यह बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि आज (5 अगस्त को) सुबह 9.30 बजे प्रधानमंत्री आवास पर केंद्रीय कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है। बता दें कि कश्मीर में केंद्र सरकार ने 35,000 से ज़्यादा जवानों की तैनाती कर दी है। इस बात को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि केंद्र सरकार ने कश्मीर में अतिरिक्त जवानों की तैनाती क्यों की है।
रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, इंटेलीजेंस ब्यूरो के प्रमुख अरविंद कुमार, रॉ के सामंत गोयल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा और मंत्रालय के अन्य अहम अधिकारियों के साथ बैठक की। ख़ुफ़िया रिपोर्टों के मुताबिक़, सीमापार से आतंकवादी घुसपैठ की तैयारी में हैं और फ़रवरी में हुए पुलवामा जैसे हमले को अंजाम देने की कोशिश कर सकते हैं। इसे देखते हुए, बड़ी संख्या में जवानों को जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया है और राज्य में अमरनाथ यात्रा पर आए श्रद्धालुओं और यात्रियों से जल्द से जल्द वापस जाने के लिए कहा गया था। बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक घाटी को छोड़कर जा रहे हैं।
ख़ुफ़िया सूत्रों ने कहा कि आतंकवादियों ने 29 से 31 जुलाई के बीच नियंत्रण रेखा को पार कर भारत में घुसने की कई कोशिशें की। भारतीय सेना ने शनिवार को कहा था कि उसने पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम के पाँच आतंकवादियों को मार गिराया है। सेना ने कहा है कि ये लोग भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे और केरन सेक्टर के पास बनी एक आर्मी पोस्ट पर हमला करने की कोशिश में थे। भारत ने पाकिस्तान से उससे इन शवों को वापस ले जाने के लिए कहा है लेकिन अभी तक पाकिस्तान की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कश्मीर के हालात राज्य के हालात पर चर्चा करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, लेकिन पुलिस ने एडवाइजरी जारी कर कहा है कि किसी भी होटल में राजनीतिक दलों की बैठकें नहीं होनी चाहिए। इसके बाद आज (रविवार) शाम को 6 बजे महबूबा के घर पर सभी दलों की बैठक होगी। महबूबा ने पूछा है कि केंद्र सरकार की इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत कहाँ चली गई। महबूबा ने कहा कि सरकार यात्रियों को बाहर कर रही है, पर्यटकों को खाली कराया जा रहा है, मजदूर, छात्र, क्रिकेटर सभी लोग राज्य छोड़कर जा रहे हैं। महबूबा ने कहा कि जान बूझकर दहशत का माहौल पैदा किया जा रहा है।
राजनीतिक हलकों और मीडिया में इस बात को लेकर जोरदार चर्चा है कि केंद्र केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35ए को ख़त्म कर सकती है। हालाँकि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इस तरह की बातों को सिर्फ़ अफ़वाह क़रार दिया है। केंद्र सरकार का कहना है कि घाटी में आतंकवाद विरोधी कार्रवाई को मजबूती देने के लिए जवानों को तैनात किया जा रहा है। लेकिन फिर भी यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35ए हटाने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
बीजेपी, संघ का है एजेंडा
लगता है कि केंद्र की मोदी सरकार इस बार 35ए और धारा 370 पर आर या पार करना चाहती है। गृह मंत्री अमित शाह संसद में कह चुके हैं कि धारा 370 अस्थायी है। बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ धारा 370 और 35ए को ख़त्म करने की माँग लंबे अरसे से उठाते रहे हैं। जम्मू-कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने भी कहा है कि धारा 35ए के ज़रिए संविधान ही नहीं, संसद को भी छला गया और इसे गुपचुप तरीक़े से लाया गया था। उन्होंने कहा कि हम इसे ख़त्म करेंगे क्योंकि हमने देश से इसका वायदा किया है। धारा 370 और 35ए को हटाने का जिक्र बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र 2019 में प्रमुखता से किया है।क्या है अनुच्छेद 35ए?
देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने एक आदेश से 35ए को 14 मई, 1954 को संविधान में शामिल किया था। यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार और सुविधाएँ प्रदान करता है और इसके अंतर्गत राज्य के बाहर के व्यक्ति पर यहाँ कोई भी अचल संपत्ति ख़रीदने पर प्रतिबंध लगाता है। यह अनुच्छेद राज्य की विधानसभा को जम्मू-कश्मीर के ‘स्थाई निवासी’ को परिभाषित करने और उन्हें विशेष सुविधाएँ उपलब्ध कराने का अधिकार देता है।अनुच्छेद 370 की संवैधानिकता को पहले भी चुनौती दी गयी थी। उच्चतम न्यायालय की पाँच सदस्यीय संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 के तहत संविधान में सुधार करने के राष्ट्रपति के अधिकारों पर विचार किया। संविधान पीठ ने 1961 में अपने फ़ैसले में कहा था कि राष्ट्रपति अनुच्छेद 370 के तहत वर्तमान प्रावधान में सुधार कर सकते हैं, लेकिन फ़ैसले में इस सवाल पर ख़ामोशी थी कि क्या संसद की जानकारी के बग़ैर राष्ट्रपति संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ सकते हैं।केंद्रीय कैबिनेट की बैठक बुलाये जाने की बात से यह माना जा रहा है कि सरकार कश्मीर पर कोई बड़ा फ़ैसला कर सकती है। लेकिन जम्मू-कश्मीर में 35ए को हटाने का जोरदार विरोध हो सकता है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र सरकार को आगाह किया था कि राज्य में आर्टिकल 35ए से छेड़छाड़ करना बारूद में आग लगाने जैसा होगा। लेकिन जब राज्यपाल कह चुके हैं कि सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है तो फिर देखना होगा कि सरकार 35ए पर क्या फ़ैसला लेती है और इसे लेकर चल रही अटकलों पर किस तरह विराम लगाती है।
अपनी राय बतायें