क्या है चिट्ठी में?
आठ सौ से अधिक विशेषज्ञों ने नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा है कि सरकार को अब लॉकडाउन के बाद की स्थिति के बारे में सोचना चाहिए।उन्होंने कहा है कि सरकार ने लॉकडाउन का एलान कर उन लोगों को तो अपने-अपने घरों में बंद कर दिया जो आर्थिक रूप से ऐसा करने में सक्षम थे, पर ग़रीबों और असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को आर्थिक बदहाली का सामना करने के लिए छोड़ दिया।
इनकी जाँच तो हुई ही नहीं!
वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि लॉकडाउन अपने आप में कोई उपचार नहीं है, इससे बस इतना हो सकता है कि आपको कुछ समय मिल जाता है जिसमें आप स्वास्थ्य से जुड़ी तैयारियाँ कर लेते हैं। इसके बाद संक्रमण तेज़ी से फैल सकता है, अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है।इन वैज्ञानिकों ने सरकार और इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रीसर्च (आईसीएमआर) से यह भी कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह को मानते हुए अधिक से अधिक लोगों की जाँच की जाए।
लॉकडाउन पर सरकार की खिंचाई
लॉकडाउन के मुद्दे पर सरकार की आलोचना पहले से ही हो रही है। राज्य सरकारों से राय मशविरा किए बग़ैर लॉकडाउन का एलान कर देने और उसके बाद होने वाली गड़बड़ियों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले तेज़ हो गए हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमत्री भूपेश बघेल खुल कर सामने आ गए हैं और उन्होंने इस मुद्दे पर मोदी की तीखी आलोचना की है।कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ज़ोरदार हमला करते हुए कहा है कि पहले से योजना बनाए बग़ैर लॉकडाउन करने की वजह से अफरातफरी मची है और लोगों को दिक्कतें हो रही हैं।
उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि सबसे ज़्यादा दिक्क़तें समाज के सबसे ग़रीब और असहाय लोगों को ही हो रही हैं।
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