मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया की किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ आने के बाद 2008 में हुए आतंकवादी हमले को लेकर एक बार फिर जोरदार बहस शुरू हो गई है। मारिया ने अपनी किताब में ख़ुलासा किया है कि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा अजमल कसाब को हिंदू के तौर पर पेश करना चाहता था। लश्कर ने कसाब का नाम समीर दिनेश चौधरी रखा था और उसे बेंगलुरू का निवासी बताने की कोशिश की थी। कसाब के हाथ में बंधे लाल धागे को लेकर तब ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द को लेकर काफ़ी चर्चा हुई थी।