हरियाणा कैडर के तीन भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सिबास कविराज, जश्नदीप सिंह रंधावा, सुमित कुमार के साथ तीन हरियाणा पुलिस सेवा के अधिकारियों नरेंद्र सिंह, राम कुमार, अमित भाटिया को विशिष्ट सेवा मेडल से पुरस्कृत करने के लिए हरियाणा पुलिस महा निदेशक शत्रुजीत कपूर ने 2 जुलाई को केंद्र सरकार से संस्तुति की है। किसान आंदोलन के दौरान सिबास कविराज मंडल के आईजी के तौर पर नियुक्त थे , जबकि जश्नदीप रंधावा जिला पुलिस अधीक्षक के तौर पर सेवा में थे। सुमित कुमार पुलिस अधीक्षक जींद और अमित भाटिया उप अधीक्षक के तौर पर जींद में तैनात थे जिन्हे खनौरी बार्डर पर उत्कृष्ट कार्य के लिए विशिष्ट सेवा मेडल के लिए चुना गया है।
इसी साल फरवरी में किसानों का आंदोलन फिर से शुरू हुआ था और पंजाब के किसानों के जत्थे दिल्ली चलो के अपने अभियान के तहत दिल्ली के लिए हरियाणा से हो कर जा रहे थे जिनको हरियाणा की सीमाओं पर ही रोक दिया गया। सुरक्षाबलों व पुलिस द्वारा किसानों पर की गयी बर्बरता एवं निरंकुशता को पूरे देश ने देखा है।
हरियाणा में पुलिस प्रशासन की कार्य प्रणाली पर हाल ही में 6 जुलाई को सिरसा में भाजपा के बड़े नेता आदित्य चौटाला जो वर्तमान में हरयाणा कृषि विपणन मंडी बोर्ड के चेयरमैन है ने सवाल खड़े किये थे जब कष्ट निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता राज्यमंत्री सामाजिक न्याय एवम अधिकारिता बिशम्बर सिंह कर रहे थे। इससे पहले भी आदित्य चौटाला नगर निगम में भृष्टाचार का मामला 2021 में उठा चुके हैं।
अगस्त 2023 में नूंह में हुई साम्प्रदायिक हिंसा को रोकने की विफलता में भी पुलिस प्रशासन पर सवाल उठे थे। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने 2014 में हिसार के बरवाला में रामपाल के सतलोक आश्रम के अनुयायी और पुलिस के बीच हुई हिंसा को कवर कर रहे पत्रकारों पर हरियाणा पुलिस द्वारा बल प्रयोग करने और उनके सामान को क्षतिग्रत करने पर पुलिस महानिदेशक से विस्तृत रिपोर्ट तलब कर संलिप्त पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही करने को निर्देशित किया था।
अपनी मांगों के लिए राष्ट्रीय राजधानी में शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने जा रहे किसानों को प्रदेश की सीमाओं पर बड़े बड़े अवरोध लगा कर रोकना और बल प्रयोग करना किस श्रेणी के साहसिक कार्य में गिना जा सकता है। किसानों को संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जाना हरियाणा सरकार की किसानों के प्रति नीति का स्पष्ट प्रमाण ही कि किसानों की समस्याओं को ले कर सरकार किस प्रकार गंभीर है किस प्रकार के समाधान किसानों की समस्याओं के सरकार करना चाहती है। इस अधिकारीयों को वीरता पदक दे कर सरकार किसानों के साथ साथ आम जन को क्या संदेश देना चाहती है। अब ये सवाल उठता है कि क्या इसे लोकतंत्र की नयी परिभाषा के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए।
किसानों का ' दिल्ली चलो' आह्वान पंजाब के किसान समूह किसान मज़दूर मोर्चा व संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनीतिक ) के द्वारा इसी साल फरवरी के महीने में किया गया था जिसमे हरियाणा के विभिन्न किसान समूह भी शामिल हो कर दिल्ली में बड़े प्रदर्शन करने का कार्यक्रम था। केंद्र में गठबंधन के सहारे भाजपा की सरकार फिर से अस्तित्व में है। हरियाणा की भाजपा सरकार किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के हर संभव प्रयासों में लगी हुयी है। कई दौर की वार्ताएं केंद्रीय सरकार के प्रतिनिधियों से विफल हो चुकी हैं। किसानों के पास अपनी मांगों पर सरकार की और से गंभीरता से समाधान करवाने के लिए आंदोलन के अलावा क्या विकल्प शेष रहता है ये भी उतना ही तार्किक है । आने वाले विधानसभा चुनावों में सरकार की ऐसी नीतियों के प्रभाव निश्चित ही देखने को मिलेंगे।
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