हरियाणा विधानसभा चुनाव का प्रचार अभियान अभी शुरू भी नहीं हुआ और भारतीय जनता पार्टी जिस रणनीति की शाख पर बैठी थी उसी पर उसने कुल्हाड़ी चला ली है।

यदि बड़ी संख्या में लोग बागी होकर पार्टी के खिलाफ निर्दलीय या किसी पार्टी में शामिल होकर चुनाव लड़ते हैं तो वह ध्रुवीकरण क्या सिरे नहीं चढ़ पाएगा जिसकी बीजेपी इस बार उम्मीद कर रही थी?
पहले देखते हैं यह रणनीति थी क्या? भाजपा आमतौर पर तोड़-फोड़ से, सोशल इंजीनियरिंग से चुनाव को बाईपोलर बना लेती है, या राज्य की पूरी राजनीति का ध्रुवीकरण कर देती है। जिससे तमाम तीसरे-चैथे नंबर के दल या तो ख़त्म हो जाते हैं, या भाजपा उन्हें निगल जाती है या फिर वे अप्रासांगिक हो जाते हैं। हरियाणा के पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ध्रुवीकरण में नाकाम रही थी और इसका नतीजों पर असर हमने देखा भी था।