हरियाणा विधानसभा चुनावों की आहट होते ही भाजपा अब पचों-सरपंचों, ब्लॉक व जिला परिषद सदस्यों को मनाने में जुट गई है। 2024 के लोकसभा चुनावों में पचों-सरपंचों के विरोध के चलते ग्रामीण क्षेत्रों से भाजपा को अबकी बार बड़ा नुक़सान हुआ है। हरियाणा में भाजपा का आधार अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी सिकुड़ने लगा है। 2014 के बाद शहरी क्षेत्रों में भाजपा के हिंदुत्व समर्थक वर्ग में काफी विस्तार हुआ था। शहर-कस्बों में छोटे-मंझोले व्यापारी, कर्मचारी, श्रमिक वर्ग में बीजेपी का समर्थन हिंदुत्व के आसरे फैला। ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक स्तर पर भाजपा जातीय ध्रुवीकरण से सेंध लगाने में कामयाब हुई थी। हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा पंचों-सरपंचों तक अपनी पहुँच बनाने में सफल रही और एक बड़ा आधार ग्रामीण मतदाता में खड़ा करने में कामयाब हुई थी। लेकिन पंचायती राज के तहत पंच-सरपंच को मिलनेवाले अधिकारों पर अंकुश लगाने की नीति ने भाजपा की अब ग्रामीण क्षेत्रों में चूलें हिला दी हैं। 2015 में कर्नाटक में भाजपा ने ग्राम पंचायतों के अधिकारों को सीमित करने की नीति लागू की थी जिसका भारी-विरोध पूरे कर्नाटक प्रदेश में नीति को लेकर हुआ था और राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को करारी हार का मुंह देखना पड़ा था।
हरियाणा के पंच-सरपंचों की नाराज़गी से कैसे निपटेगी बीजेपी?
- हरियाणा
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- 3 Jul, 2024

हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी आख़िर पंच-सरपंचों को रिझाने में क्यों जुट गई है? जानिए, आख़िर ये इतने अहम क्यों हैं?
73वें संविधान संशोधन में पंचायती राज को सुदृढ़ बनाने के लिए नए क़ानून का प्रावधान किया गया था जो अप्रैल 1993 से लागू हुआ। पंचायती राज की व्यवस्था स्थानीय ग्रामीण शासन को सरकार द्वारा स्थानीय शासन-व्यवस्था के रूप में मान्यता देने व केंद्र सरकार की जन कल्याण योजनाओं के पूर्ण लाभ ग्रामीण नागरिकों तक पहुँचाने के लिए की गई थी। पंचायतें स्वायत्त स्थानीय शासन संस्था के रूप में संविधान के प्रावधानों और दायरों के अनुरूप कार्य करने को स्थापित की गयी थीं। भाजपा ने 2002 में गोवा में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में पूर्ण प्रस्ताव पंचायती राज को सशक्त करने का पारित किया था। भाजपा गवर्नेंस के विकेन्द्रीकरण को निरंतर प्रमुखता से अपने एजेंडे में प्रचारित करती रही और पंचायती राज में और अधिक स्वायत्तता पर कांग्रेस की सरकार को घेरती रही है।