बिहार की सियासत में इस बात की जोरदार चर्चा है कि जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कैबिनेट में आना चाहते हैं और उनकी नजर उप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। कहा जा रहा है कि 14 जनवरी को खरमास खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी कैबिनेट का विस्तार कर सकते हैं। उपेंद्र कुशवाहा के डिप्टी सीएम बनने की चर्चा उनके एक बयान से तेज हुई है।
कुशवाहा ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि वह राजनीति में लोगों की सेवा करने के लिए आए हैं और यह स्वाभाविक है कि कोई इसलिए कुर्सी चाहता है क्योंकि वह लोगों की सेवा कर सके।
इसके अलावा एक न्यूज़ चैनल के साथ बातचीत में जब उनसे पूछा गया कि क्या वह राज्य की जेडीयू-आरजेडी सरकार में मंत्री बनने की दौड़ में हैं, तो उन्होंने इसके जवाब में कहा कि वह किसी मंदिर के संन्यासी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में अंतिम फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही लेंगे।
बिहार की मौजूदा महागठबंधन सरकार में आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री हैं। बता दें कि बीते साल अगस्त में नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाई थी।
इस बात की चर्चा बिहार के सियासी गलियारों में है कि उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कैबिनेट में उप मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करने के लिए जोड़-तोड़ कर रहे हैं जबकि राज्य सरकार में सहयोगी कांग्रेस भी नीतीश कैबिनेट के विस्तार में मंत्री पद की दो कुर्सियों के लिए सियासी मोलभाव कर रही है। बिहार सरकार में कांग्रेस के दो मंत्री हैं।
एनडीए में लौटने की थी चर्चा
पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में इस बात की चर्चा चली थी कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में वापस लौट सकते हैं और वह बीजेपी के शीर्ष नेताओं के संपर्क में हैं। लेकिन कुशवाहा ने ऐसी खबरों को खारिज कर दिया था और कहा था कि बीजेपी के साथ जाने की बात सोचना भी अपराध है। तब ऐसी खबर भी आई थी कि उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार की कैबिनेट में जगह न मिलने की वजह से नाराज हैं। हालांकि कुशवाहा ने नाराजगी की तमाम खबरों को खारिज कर दिया था।
तिवारी ने उठाया सवाल
उपेंद्र कुशवाहा को उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चाओं पर आरजेडी के प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने बड़ा बयान दिया है। तिवारी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि बिहार में लगभग 80 विधायकों वाली जो पार्टी है उसका सिर्फ एक उप मुख्यमंत्री बनेगा और जिस पार्टी के पास 43-44 विधायक हैं उसे मुख्यमंत्री का पद भी मिलेगा और उप मुख्यमंत्री का पद भी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह कहीं से व्यावहारिक है।
शिवानंद तिवारी ने यह बात कह कर जेडीयू को साफ संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी पार्टी आरजेडी जेडीयू से बड़ी है और ऐसे में वह जेडीयू के दो डिप्टी सीएम को स्वीकार नहीं करेगी। याद दिला दें कि कुछ दिन पहले बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह के द्वारा नीतीश कुमार को शिखंडी कहे जाने को लेकर दोनों दलों के बीच में विवाद पैदा हो गया था। तब जेडीयू ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से इस मामले में कार्रवाई की मांग की थी।
इसके अलावा आरजेडी के विधायक विजय कुमार मंडल ने भी नीतीश कुमार पर किसानों के मुद्दों के साथ ही भ्रष्टाचार और बेलगाम नौकरशाही को लेकर हमला बोला था।
नीतीश के पुराने सहयोगी हैं कुशवाहा
लंबे वक़्त तक नीतीश कुमार के साथ राजनीति करने के बाद उपेंद्र कुशवाहा 2013 में उनसे अलग हो गए थे। उपेंद्र कुशवाहा एक वक्त में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ही साथ थे। लेकिन मार्च 2013 में उन्होंने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) का गठन किया था और 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार में तीन सीटें जीती थीं। उसके बाद वे मोदी सरकार में मंत्री भी रहे लेकिन 2019 में सीट बंटवारे से नाख़ुश होकर उन्होंने एनडीए छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने यूपीए के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन उनकी पार्टी को कोई सीट नहीं मिली थी।
2020 के विधानसभा चुनाव में कुशवाहा ने कुछ छोटे दलों के साथ मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट बनाया था। इस फ्रंट में बीएसपी, एआईएमआईएम सहित कुछ और दल शामिल थे। कुशवाहा इस फ्रंट की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे।
मार्च 2021 में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी आरएलएसपी का जेडीयू में विलय कर दिया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को विधान परिषद का सदस्य बनाने के साथ ही जेडीयू के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था।
नीतीश कुमार के राजनीतिक सहयोग के चलते ही बिहार की राजनीति में लगभग हाशिए पर जा चुके उपेंद्र कुशवाहा को राजनीतिक संजीवनी मिली थी।
बिहार की सियासत में इस बात की भी चर्चा है कि उपेंद्र कुशवाहा ने कुछ दिन पहले अपनी पुरानी पार्टी रालोसपा के टिकट पर पिछला लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले नेताओं के साथ बैठक की है और माना जा रहा है कि वह अपनी पार्टी को जिंदा करने की कोशिश में हैं।
देखना होगा कि क्या नीतीश कुमार उपेंद्र कुशवाहा को अपनी कैबिनेट में उप मुख्यमंत्री बनाएंगे। अगर ऐसा होता है तो आरजेडी इस पर कैसी प्रतिक्रिया देगी और अगर उपेंद्र कुशवाहा को उप मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो वह कितने दिन जेडीयू में रहेंगे।
अपनी राय बतायें