पूर्णिया जिले के रुपौली विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी राजपूत समुदाय के शंकर सिंह की जीत के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि यह अति पिछड़ा बेटा और अति पिछड़े बेटी की हार है। उनका इशारा राजद की उम्मीदवार बीमा भारती और जदयू के उम्मीदवार कलाधर मंडल की तरफ था जिन्हें हराकर शंकर सिंह ने जीत हासिल की थी।

बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी की आबादी लगभग 36 फ़ीसद है। यदि यह वर्ग नीतीश से छिटकता है तो क्या आरजेडी अपने पाले में खिंच पाएगा?
शंकर सिंह की जीत के बाद यह चर्चा भी हुई कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) में भारतीय जनता पार्टी के खेमे के लोगों ने समर्थन दिया था। शंकर सिंह इससे पहले 2005 में लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे। राजद के उस नेता ने दरअसल यह बताने की कोशिश की थी कि अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की आपसी लड़ाई में सवर्ण उम्मीदवार ने जीत हासिल कर ली। बीमा भारती और कलाधर मंडल दोनों ईबीसी के गंगोता समुदाय से आते हैं।