बिहार में जाति आधारित गणना पर गुरुवार को पटना हाई कोर्ट द्वारा तीन जुलाई तक रोक लगाने के बाद इस पर राजनीति रुकने के बजाय और तेज़ हो सकती है। जातीय गणना को हिंदुत्व की राजनीति के काट के तौर पर देखा जा रहा है और इसे इतनी आसानी से ठंडे बस्ते में नहीं डाला जा सकता है।

जातीय सर्वेक्षण या गणना पर पटना हाई कोर्ट की रोक के बाद क्या यह मामला अब शांत हो जाएगा? या फिर यह कहीं बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनेगा?
जातीय गणना के लिए बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होने के बाद इस पर बिहार कैबिनेट की मुहर लगी थी। इसके लिए 500 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए थे।