बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग जनता दल यूनाइटेड और आरजेडी लगातार करते रहे हैं, लेकिन अब नीतीश कुमार ने आंदोलन की चेतावनी दे दी है। उन्होंने घोषणा की है कि यदि केंद्र ने राज्य को जल्द से जल्द विशेष दर्जा नहीं दिया तो वह राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। बीजेपी ने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि यह सिर्फ़ नीतीश का बहाना है।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि मुख्यमंत्री के लिए विशेष राज्य का दर्जा अब एक जुमला बन गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये विशेष राज्य का दर्जा मांगते हैं, लेकिन इनका असली निशाना सत्ता में काबिज रहना है। तो सवाल है कि आख़िर नीतीश कुमार आख़िर विशेष राज्य के दर्जे की मांग क्यों कर रहे हैं?
इस सवाल का जवाब पाने से पहले यह जान लें कि विशेष राज्य का दर्जा मिलने से क्या होता है। अगर किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता है तो केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए 90% पैसा केंद्र सरकार देती है जबकि 10% पैसा राज्य सरकार को देना होता है। जबकि अभी केंद्र सरकार की योजनाओं में केंद्र सरकार 60 फ़ीसदी पैसा देती है और राज्य सरकार 40 फ़ीसदी। कुछ योजनाओं में यह आंकड़ा 50-50 फ़ीसदी का है।
फिलहाल, देश में 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है। इन राज्यों में- अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर (अब केंद्र शासित प्रदेश), मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड शामिल हैं।
नीतीश ने कहा है कि जो लोग मांग का समर्थन नहीं करते हैं, उन्हें राज्य के विकास में कोई दिलचस्पी नहीं है।
नीतीश ने कहा कि बिहार विधानमंडल ने हाल ही में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में वंचित जातियों के लिए कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिससे जाति सर्वेक्षण के आधार पर कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि हमने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए कई कल्याणकारी पहल की योजना बनाई है और इसपर ख़र्च बिहार जैसे गरीब राज्य के लिए कई करोड़ रुपये आएगा। उन्होंने कहा कि हमें इसमें पांच साल से अधिक समय लग जाएगा। सीएम ने कहा, 'अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पूरी हो जाती है, तो हम ढाई साल के भीतर संबंधित लोगों को सभी लाभ देने में सक्षम होंगे। इसलिए, बिहार को तुरंत दर्जा चाहिए।'
जेडीयू नेताओं की ओर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर तमाम तर्क दिए जाते रहे हैं। इसमें एक तर्क यह भी है कि बिहार की प्रति व्यक्ति आय बेहद कम है। जेडीयू के नेताओं का कहना है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने से केंद्रीय सहायता में वृद्धि होगी और अलग-अलग तरह के करों में छूट मिलेगी और इस वजह से बिहार विकसित राज्यों की श्रेणी में खड़ा हो सकेगा।
नीतीश कुमार ने पिछले साल कहा था कि अगर 2024 में केंद्र की हुकूमत में गैर बीजेपी दलों की सरकार बनी तो सभी पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा। तब नीतीश विपक्षी दलों को एकजुट करने के अभियान में जुटे थे। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को 39 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन अब जब आरजेडी, वाम दल, कांग्रेस और जेडीयू साथ आ चुके हैं तो निश्चित रूप से अगले लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए की राह आसान नहीं होगी। बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा बड़ा अहम मुद्दा है और नीतीश कुमार ने इस वादे को करके एक बड़ा चुनावी दांव खेला है।
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