जाति जनगणना बीजेपी के गले की फांस बन गई है। बिहार में उसके सबसे पुराने सहयोगी जदयू के रुख से बीजेपी और उसके नेताओं की जान सांसत में है। बीजेपी के कुछ नेता इस मुद्दे पर विरोध ज़रूर कर रहे हैं लेकिन न तो केंद्र का और न ही बिहार का कोई बड़ा नेता जदयू के खिलाफ़ मुखर होकर कुछ बोल रहे हैं। बीजेपी के छुटभैटे नेता ज़रूर बनडमरू की तरह बज रहे हैं लेकिन पार्टी ही उनके साथ खड़ी दिखाई नहीं देती है।
बिहार में क्यों निकली हैं बीजेपी और जदयू में तलवारें?
- बिहार
- |
- |
- 31 Aug, 2021

जाति जनगणना को लेकर बिहार में सियासी कोहराम मचा है। नीतीश कुमार की जदयू जाति जनगणना कराना चाहती है, लेकिन बीजेपी यह नहीं चाहती।
जाति जनगणना के मुद्दे पर जदयू का नज़रिया साफ़ है और वह अपने रुख में किसी तरह का लचीलापन लाने को तैयार नहीं है। जदयू नेताओं का मानना है कि अगर इस बार भी चूक गए तो एक दशक बाद ही अगली जनगणना होगी और तब क्या कुछ होगा यह कहना मुश्किल है। बीजेपी इससे असमंजस में है। बिहार में साथ मिल कर सरकार चला रही है और उसकी दिक्कत यह है कि उसके पास भी अगर कोई चेहरा बिहार में है तो वह नीतीश कुमार का ही चेहरा है। इसलिए बीजेपी नीतीश कुमार को नाराज़ करना नहीं चाहती। जदयू भी इस सच से वाकिफ है कि बीजेपी अगर नीतीश को दरकिनार करेगी तो फिर उसे न तो माया मिलेगी और न ही राम। बीजेपी का पसोपेश जदयू को जाति जनगणना के लिए ताक़त दे रहा है।