बिहार में आनंद मोहन का नाम इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा में है। आनंद मोहन यानी आनंद मोहन सिंह यानी राजपूत समुदाय का एक चर्चित बाहुबली नेता। इनकी चर्चा गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या में दोषी करार दिए जाने के बाद उम्रकैद की होती थी लेकिन अब चर्चा का कारण उनकी रिहाई बन गई है।

नीतीश कुमार सरकार के आनंद मोहन की रिहाई से जुड़े एक फ़ैसले ने बीजेपी के लिए बिहार में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं? जानिए, आख़िर क्यों बीजेपी असमंजस में है कि वह उस फ़ैसले का समर्थन करे या विरोध।
5 दिसंबर 1994 को तेलंगाना के महबूबनगर के रहने वाले जी. कृष्णैया को हाजीपुर से गोपालगंज, जहां वो डीएम थे, लौटते हुए मुजफ्फरपुर में भीड़ द्वारा मार दिया गया था जिसका नेतृत्व करने का आरोप आनंद मोहन पर लगा और उनका दोष सिद्ध हुआ। कृष्णैया बिहार कैडर में 1985 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। वे दलित समुदाय से आते थे।
इस हत्याकांड में आनंद मोहन को निचली अदालत से फांसी की सजा मिली थी लेकिन बाद में यह सजा आजीवन कारावास में बदल गई थी।