भारतीय जनता पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार में एनडीए के लिए साथी तलाशने में बेचैनी में नजर आती है। बीजेपी के पास 2019 का सीन है जब एनडीए ने बिहार में 40 लोकसभा सीटों में से 39 में जीत हासिल की थी। तब उसके पास नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड का साथ था। लोक जनशक्ति पार्टी में फूट नहीं पड़ी थी और रामविलास पासवान जीवित थे।

बिहार की राजनीति में क्या बड़ा बदलाव होने वाला है? आरएलजेडी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से नई दिल्ली में मुलाकात की है। जानिए आख़िर इसके क्या मायने हैं।
इस समय बिहार में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए में सिर्फ पशुपति पारस गुट वाली लोक जनशक्ति पार्टी है। जाहिर है इस गठबंधन से तो भारतीय जनता पार्टी 2019 का प्रदर्शन 2024 में नहीं दोहरा सकती। 2019 में भाजपा को कुल 17 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। एनडीए के खाते की 16 सीटें जदयू और छह सीटें लोक जनशक्ति पार्टी को गई थीं। किशनगंज के मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के डॉक्टर मोहम्मद जावेद ने जीत हासिल की थी जो यूपीए की अकेली सीट है।