गाहे बगाहे अपने चरण स्पर्श के लिए सुर्खियों में रहने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कभी कहा करते थे कि उन्होंने ‘कम्यूनलिज़्म’ के साथ समझौता नहीं किया है लेकिन आजकल बिहार में जो कुछ हो रहा है उससे उनका दावा खोखला हो चुका है और लगता है कि नफ़रत बढ़ी है और योगी मॉडल यहां भी आ चुका है।

बिहार के सबसे भयावह दंगे के लिए बदनाम भागलपुर में जिस तरह एक मुस्लिम धर्मस्थल पर भगवा झंडा फहराया गया, वह क्या इशारा करता है? क्या नीतीश कुमार के शासन में सांप्रदायिक सौहार्द पहले जैसा नहीं रहा?
सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील और बिहार के सबसे भयावह दंगे के लिए बदनाम भागलपुर में जिस तरह एक मुस्लिम धर्मस्थल पर भगवा झंडा फहराया गया, वह उसी नफरत और योगी मॉडल का एक उदाहरण है। इस घटना से उत्तर प्रदेश के बहराइच की वह घटना ताजा हो गयी जिसमें भीड़ के उकसावे पर एक युवक ने एक घर से हरे झंडे को हटाकर जबरदस्ती भगवा झंडा फहरा दिया था। इसके बाद उसे गोली मार दी गई थी और उसकी मौत के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी।