बिहार विधानसभा उपचुनाव का रिजल्ट तेजस्वी यादव के लिए जागने और छोटे लग रहे गैप को भरने का संदेश है। राज्य की चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में तीन पर आरजेडी और एक पर भाकपा माले लड़ी लेकिन चारों सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हार का अंतर लगभग उसी तरह का है जैसा 2020 के विधानसभा चुनाव में था। यानी नजदीक आकर भी सत्ता से दूरी की जो कसक 2020 में रह गई थी उसे मिटाने के लिए उन्हें इस गैप को खत्म करने की रणनीति बनानी होगी।

बिहार में हुए उपचुनाव में आख़िर तेजस्वी यादव के आरजेडी से कहाँ चूक हुई? जानिए, चार सीटों पर आए उपचुनाव के नतीजों ने तेजस्वी के लिए क्या संदेश दिया है।
याद रखने की बात यह है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के धुआंधार प्रचार का असर यह हुआ कि राजद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और महागठबंधन की अन्य पार्टियों के साथ मिलकर उनके पास इतनी सीटें आ गयी थीं कि 10-12 सीटें और मिल जातीं तो तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री होते। उस चुनाव में नीतीश कुमार के उम्मीदवारों को हराने में चिराग पासवान एक अहम फैक्टर थे लेकिन ध्यान रखना होगा कि 2025 में चिराग पासवान नीतीश कुमार के साथ होंगे।