सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार खुद पार्टी प्रमुख का पद संभाल सकते हैं। मुख्यमंत्री के करीबी वरिष्ठ नेताओं ने भी उन्हें यही सुझाव दिया है। हालांकि यह भी संभावना है कि नीतीश कुमार पार्टी में एक और प्रमुख नियुक्त कर सकते हैं। हालाँकि, इस फैसले से पार्टी के भीतर दरार पैदा हो सकती है।
इंडिया टुडे ने नीतीश की नाराजगी की दूसरी कहानी यह बताई है- नीतीश दरअसल ललन सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बीच बढ़ती दोस्ती से नाराज हैं। कई मौकों पर ललन ने लालू की तारीफ भी की है। वो तेजस्वी के भी प्रशंसक हैं। इधर, तेजस्वी और नीतीश की बढ़ती दूरी भी चर्चा का विषय रही है। हालांकि तेजस्वी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि तेजस्वी कई कार्यक्रमों में व्यस्त चल रहे हैं।
नीतीश नहीं तो कौन
जेडीयू के सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि नीतीश रामनाथ ठाकुर को भी जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकते हैं। जेडीयू नेताओं का कहना है कि “पार्टी राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद देकर आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ईबीसी) की आवाज को और बढ़ा सकती है। वह समाजवादी प्रतीक और पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं। पार्टी 2024 में कर्पूरी ठाकुर का शताब्दी वर्ष भी मना रही है। लेकिन अंतिम निर्णय नीतीश कुमार को लेना है, जिन पर पार्टी में कलह से बचने के लिए पद अपने पास रखने का दबाव होगा।'मुंगेर से सांसद ललन सिंह लंबे समय से नीतीश के साथी हैं। ललन ने जुलाई 2021 में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में आरसीपी सिंह की जगह ली थी। नीतीश ने भाजपा के साथ बढ़ती निकटता के कारण आरसीपी को हटा दिया था। अगर ललन सिंह को पार्टी पद से हटा दिया जाता है, तो वह जॉर्ज फर्नांडीस, शरद यादव, आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा जैसे पार्टी के शीर्ष नेताओं में शामिल हो जाएंगे, जो नीतीश से अलग हो गए हैं। 2016 में शरद यादव को हटाकर नीतीश खुद पार्टी अध्यक्ष बने थे।
अपनी राय बतायें