राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अपनी जन विश्वास यात्रा पूरी कर पटना वापस आ चुके हैं। वह 20 फरवरी को जन विश्वास यात्रा पर निकले थे। इस यात्रा में उन्होंने बिहार के विभिन्न जिलों का दौरा कर वहां रैलियां की। उनकी यह यात्रा 1 मार्च तक चली।
अब राजद, कांग्रेस और वाम दलों की ओर से 3 मार्च को गांधी मैदान में जन विश्वास महारैली का आयोजन किया जा रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले इस महारैली को इंडिया गठबंधन के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देख जा रहा है।
इस रैली में तेजस्वी यादव के साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई अन्य नेता लोगों को मंच से संबोधित करेंगे। इसको लेकर राजद, कांग्रेस और वाम दलों ने खूब तैयारियां की है। दावा किया जा रहा है कि इस महरैली में 10 लाख तक लोग आ सकते हैं। इस महारैली के बहाने इंडिया गठबंधन अपनी ताकत दिखाना चाह रहा है।
इस महारैली की तैयारियों को लेकर राजद और कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। लोगों का बिहार के कोने-कोने से पटना आना शुरु भी हो गया है। इसमें आने वाले लोगों को कोई परेशानी नहीं हो इसके लिए राजद और कांग्रेस ने काफी बड़े पैमाने पर इंतजाम किए हैं और कार्यकर्ताओं की पूरी फौज को महारैली की तैयारी में लगा दिया है। पटना सहित राज्य के सभी प्रमुख शहरों एवं कस्बों को तोरणद्वार, होर्डिंग्स, और झंडा-बैनर से सजाया गया है।
जन विश्वास रैली के प्रचार-प्रसार के लिए राजद और कांग्रेस द्वारा प्रचार रथ चलाया जा रहा है। राजद और कांग्रेस के नेता दावा कर रहे हैं कि यह महारैली ऐतिहासिक होने जा रही है। पिछले सारे रिकॉर्ड को तोड़ते हुए इसमें भीड़ आयेगी। उनके दावे में कितनी सच्चाई है यह तो रविवार 3 मार्च को पता चलेगा लेकिन पटना में राजद, कांग्रेस और वामदलों के कार्यकर्ताओं में इस महारैली को लेकर जबर्दस्त उत्साह दिख रहा है।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इस महारैली से पहले कहा है कि, एक बिहार, एक संदेश, चलो पटना, पहुंचो पटना, गांधी मैदान से जयघोष बिहार का! उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि, 3 मार्च, रविवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित जन विश्वास महारैली में कल से पहुंचना शुरू करें।
वहीं इस रैली को लेकर भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि इसमें भाकपा-माले पूरी ताकत के साथ उतरेगी। इस महारैली के जरिए जो आवाज बिहार से उठेगी, उसके राजनीतिक संदेश की अनुगूंज पूरे देश में सुनाई देगी।
बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि तेजस्वी यादव ने करीब दस दिनों में ही अपनी यात्रा से लोगों का बड़ा जनसमर्थन जुटाया है। सरकार से बाहर होने के बाद तेजस्वी को जनसमर्थन मिलता दिख रहा है।
लोगों की सहानुभूति का फायदा तेजस्वी यादव को हो रहा है। ऐसे में राजद और कांग्रेस इसे अपने पक्ष में सहानुभूति की इस लहर को करना चाहती हैं। उनका मकसद है कि इस महारैली के बहाने बिहार में अपने कार्यकर्ताओं में जोश-उत्साह भर दें।
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जन विश्वास यात्रा से रोजगार को बनाया मुद्दा
20 फरवरी से तेजस्वी यादव जन विश्वास यात्रा पर निकले थे। वह सीतामढ़ी, शिवहर, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, आरा, छपरा, बक्सर, सासाराम, औरंगाबाद, गया आदि जिलों में रैलियां कर चुके हैं। यात्रा के दौरान उनकी सभाओं में आ रही भीड़ बिहार में चर्चा का विषय बनी रही।अपनी जन विश्वास यात्रा में जहां एक ओर वह नीतीश कुमार और भाजपा पर हमलावर रह रहे हैं वहीं दूसरी ओर रोजगार का मुद्दा उठाते रहे हैं। अपनी लगभग हर रैली में वह बता चुके हैं कि कैसे उन्होंने डिप्टी सीएम रहते हुए अपने 17 महीनों के कार्यकाल में 5 लाख लोगों को रोजगार दिया है।
वह जोर देकर कहते हैं कि जो काम 17 वर्ष के शासन नहीं हुआ उसे हमने 17 माह में कर के दिखाया। वह बता रहे हैं कि जो नीतीश कुमार कहते थे कि इतने लोगों को रोजगार देना संभव नहीं है उस काम को हमने सरकार में आने के बाद करवा कर दिखा दिया। बिहार में महागठबंधन की सरकार के दौरान शिक्षा विभाग राष्ट्रीय जनता दल के पास था जिसने सबसे ज्यादा करीब 4 लाख नौकरियां बांटी हैं।
तेजस्वी अपनी सभाओं में कहते रहे हैं कि हमने 5 लाख नौकरी देने का काम किया है। भाजपा वाले तलवार बांट रहे हैं। नफरत फैला रहे हैं। बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले हो रही तेजस्वी यादव की इस जनविश्वास यात्रा से राजद को काफी फायदा हो सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा तो यह हो रहा है कि तेजस्वी को सरकार से बाहर होने पर जनसहानुभूति मिलती दिख है।
इस यात्रा में तेजस्वी ने बिहार में घूम-घूम कर बताया है कि, कैसे उन्होंने 5 लाख बेरोजगारों को रोजगार दिया। बिहार जैसे राज्य में जहां बेरोजगारी की स्थिति आज भी भयावह है वहां रोजगार अब धीरे-धीरे लोगों के बीच मुद्दा बनता जा रहा है।
हाल के दिनों में लाखों युवाओं को नौकरियां मिली हैं और गांव-गांव में लोग अपने आसपास के युवाओं को रोजगार मिलते देख चुके हैं। ऐसे में तेजस्वी को लोगों की सहानुभूति मिल रही है।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार जैसे राज्य में जहां बेरोजगारी चरम पर होने के बाद भी चुनावी मुद्दा जाति रहता रहा है वहां तेजस्वी रोजगार की बात कर रहे हैं यह बड़ा बदलाव है। तेजस्वी कोशिश कर रहे हैं कि रोजगार की बात कर के वह राष्ट्रीय जनता दल की इमेज को भी बदलने में कामयाब हो।
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