बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल विस्तार में दो साफ़ संकेत छोड़े हैं। पहला ये कि वो बीजेपी के वर्चस्व को पूरी तरह स्वीकार कर चुके हैं। दूसरा ये कि वो अति पिछड़ों के अपने गढ़ में भी बीजेपी को जगह देने के लिए तैयार हैं। एनडीए के तेरह महीनों के मंत्रिमंडल के तीसरे विस्तार में सभी सात मंत्री बीजेपी से लिए गए। इसके पहले तक नीतीश बीजेपी और जेडीयू के बीच संतुलन बना कर चल रहे थे। लेकिन अब मंत्रिमंडल के 36 सदस्यों में 21 बीजेपी के और नीतीश की पार्टी जेडीयू के 13 मंत्री हो गए हैं। जीतन राम मांझी की पार्टी हम का एक और एक निर्दलीय मंत्री है। इस विस्तार से पहले बीजेपी के 14 और जेडीयू के 13 मंत्री थे।