बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एलजेपी नेता चिराग पासवान के तेवरों और बीजेपी की उन्हें लेकर चुप्पी को देखकर यह अंदाजा हो गया था कि दोनों दलों के बीच अंदरखाने कोई डील ज़रूर हो गई है। एलजेपी में टूट के बाद चिराग ने इसे ज़ाहिर कर दिया है।
चिराग ने कहा है कि बिहार में एनडीए से बाहर जाकर लड़ने का फ़ैसला बीजेपी से अच्छी तरह बातचीत होने के बाद ही लिया गया था। बिहार चुनाव के दौरान भी यह बात कही जाती थी कि नीतीश कुमार की सीटें कम करने के लिए बीजेपी ने ही चिराग को प्लांट किया है।
चिराग के नीतीश के ख़िलाफ़ आक्रामक प्रचार का असर भी हुआ और जेडीयू को जबरदस्त नुक़सान हुआ। लेकिन तब की चोट खाई जेडीयू को एलजेपी में टूट के बाद आराम मिला है।
बहरहाल, चिराग ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के साथ बातचीत में कहा है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, महासचिव बीएल संतोष और गृह मंत्री अमित शाह उस बैठक में थे जिसमें यह फ़ैसला लिया गया था कि एलजेपी सिर्फ़ 15 सीटों पर ही चुनाव नहीं लड़ेगी। शायद एनडीए गठबंधन में एलजेपी को इतनी ही सीटें दी जा रही थीं।
क्या बीजेपी ने उनके जेडीयू वाली सीटों पर और अकेले लड़ने के फ़ैसले का साथ दिया, इस सवाल के जवाब में चिराग ने कहा, “हां बिलकुल, इस बात पर अच्छे ढंग से चर्चा हुई थी। मैंने उन्हें बताया था कि मेरा गठबंधन उनसे ही है।”
एलजेपी में टूट के बाद चिराग के चाचा और बग़ावत करने वाले सांसदों की अगुवाई कर रहे पशुपति पारस ने भी कहा कि जेडीयू के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने का फ़ैसला ग़लत था और पूरी पार्टी इसके विरोध में थी।
चुनाव के दौरान ख़ुद को मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग ने कहा कि उन्होंने यह भी बता दिया था कि वे 6 सीटों के अलावा कहीं भी बीजेपी के ख़िलाफ़ उम्मीदवार नहीं उतारेंगे।
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चिराग ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, “मैंने बता दिया था कि मेरा भरोसा नीतीश पर नहीं बल्कि बीजेपी पर है। मैं आपके ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोलूंगा और आप भी ऐसा ही करना। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान जब बीजेपी नेताओं ने मुझे वोट कटुआ कहा तो बहुत दुख हुआ।”
मोदी पर भरोसा लेकिन...
चिराग ने कहा कि 135 सीटों पर चुनाव लड़ने से एलजेपी का विस्तार हुआ और अगर सभी 243 सीटों पर लड़ा होता तो राज्य में आज दूसरी सरकार होती। 2019 में जमुई से लोकसभा का चुनाव जीतने वाले चिराग ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा है लेकिन यह एकतरफा नहीं हो सकता है।
चिराग ने बीजेपी आलाकमान को याद दिलाया है कि जब नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ दिया था तब भी उनकी पार्टी एलजेपी एनडीए में ही थी। एलजेपी से बग़ावत करने वाले पांच सांसदों में पशुपति पारस के अलावा उनके बेटे प्रिंस राज और तीन अन्य सांसद- चंदन सिंह, वीणा देवी और महबूब अली शामिल हैं। इन सांसदों ने पशुपति पारस को एलजेपी संसदीय दल का नेता चुनने के बाद उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुना।
जबकि चिराग ने इन पांचों सांसदों को पार्टी से निलंबित कर दिया था। केंद्रीय कैबिनेट के इस महीने संभावित विस्तार में यह माना जा रहा है कि पशुपति पारस केंद्र सरकार में मंत्री बन सकते हैं। पशुपति पारस ने ख़ुद ही इस बात के संकेत दिए हैं।
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