loader

बिहार बीजेपी की राय- पशुपति पारस पर आंख बंद करके भरोसा न करें

एलजेपी नेता चिराग पासवान के बग़ावती चाचा पशुपति पारस ने केंद्र सरकार में मंत्री बनाए जाने के संकेत तो दे दिए हैं लेकिन बिहार बीजेपी के नेताओं की राय उनके सियासी मंसूबों पर पानी फेर सकती है। 

एलजेपी के सांसद पशुपति पारस ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा है कि जिस दिन वे मंत्री बन जाएंगे संसदीय दल के नेता के पद से इस्तीफ़ा देकर अपने किसी दूसरे साथी को नेता बनाएंगे। इससे एक बात साफ है कि पारस की बीजेपी आलाकमान से डील हो चुकी है और वह इस महीने के अंत में केंद्रीय कैबिनेट के संभावित विस्तार का हिस्सा हो सकते हैं।

लेकिन यहां बिहार बीजेपी के नेता पेच फंसा सकते हैं क्योंकि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने आलाकमान को सुझाव दिया है कि चिराग पासवान के ख़िलाफ़ पशुपति पारस का आंख बंद करके समर्थन करना ग़लती साबित होगा।

ताज़ा ख़बरें

पशुपति पारस के एलजेपी संसदीय दल का नेता चुने जाने को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने जिस तरह तुरंत सहमति दी है, उससे भी साफ लगता है कि इस खेल में कहीं न कहीं बीजेपी शामिल है। 

यह नहीं माना जा सकता कि पशुपति पारस मंत्री बनने को लेकर बयान यूं ही दे देंगे। कुछ न कुछ बातचीत बीजेपी नेतृत्व से हुई होगी, उसके बाद ही उन्होंने यह बात कही होगी। 

Chirag paswan ljp controversy BJP advised to high command - Satya Hindi

एनडीटीवी के मुताबिक़, बिहार बीजेपी के नेताओं ने एलजेपी में तुरत-फुरत एक सर्वे करवाया है। इसके तहत पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को फ़ोन  किए गए हैं। इसमें नेताओं-कार्यकर्ताओं ने चाचा पशुपति पारस से ज़्यादा चिराग पासवान की हिमायत की है। इन लोगों को ऐसा लगता है कि पशुपति पारस के अंदर वो करिश्मा या वो बात नहीं है और वो लंबे वक़्त तक रणनीतिकार की ही भूमिका में रहे हैं। 

इस सर्वे में शामिल पासवान जाति के लोगों का कहना है कि वे चिराग के साथ ही रहेंगे क्योंकि वह युवा हैं और उनकी आक्रामक राजनीति को पसंद करते हैं। बिहार में पासवान जाति की आबादी 6 फ़ीसदी है। 

‘न्यूट्रल रहना चाहती है बीजेपी’

बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता संजय पासवान ने एनडीटीवी से कहा कि उनकी पार्टी एलजेपी में चल रहे सत्ता संघर्ष में न्यूट्रल रहना चाहती है। उन्होंने कहा कि पशुपति पारस को नीतीश कुमार की हिमायत हासिल है और नीतीश चिराग से विधानसभा चुनाव में जेडीयू को हुए नुक़सान का राजनीतिक बदला लेना चाहते हैं जबकि पावसान जाति के वोटर नीतीश और उनकी पार्टी को पसंद नहीं करते हैं। 

कुल मिलाकर राज्य बीजेपी के नेता एलजेपी में चल रहे इस झगड़े में नहीं पड़ना चाहते और वह यह भी नहीं चाहते कि पशुपति पारस को मंत्री बनाने से उनकी पार्टी को किसी तरह का सियासी नुक़सान हो। ऐसे में मुश्किल बीजेपी के सामने भी कम नहीं है।

चिराग की लंबी लड़ाई 

दूसरी ओर, चिराग पासवान ने राजनीतिक पैगाम दिया है कि वे पार्टी में अपने वर्चस्व की लड़ाई को लड़ते रहेंगे। चिराग ने कहा है कि पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता चुने जाने की प्रक्रिया पार्टी के संविधान के हिसाब से ग़लत है। चिराग ने कहा है कि वही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं न कि उनके चाचा। 

बिहार से और ख़बरें

उन्होंने अपने इरादों को यह कहकर जाहिर किया है कि वे शेर के बेटे हैं। चिराग की पूरी कोशिश रहेगी कि एलजेपी में हुई इस टूट के बाद रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत उन्हीं के पास बनी रहे। चिराग अपने समर्थकों को यह बताना चाहते हैं कि उनके ख़िलाफ़ षड्यंत्र हुआ है। उन्होंने इस बात को कहा भी है। 

कुल मिलाकर पटना से लेकर दिल्ली तक एलजेपी के कार्यकर्ता चिराग बनाम पशुपति पारस के गुट में बंट गए हैं और देखना यही है कि पार्टी में अकेले सांसद बचे चिराग कब तक और कितनी मज़बूती से चाचा के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ पाते हैं। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

बिहार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें