बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर राज्य में सरकार चला रहे बीजेपी और जेडीयू आमने-सामने आ गए हैं। नीतीश सरकार की ओर से विशेष राज्य के दर्जे की पैरवी किए जाने पर जब उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने सवाल उठाया तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके ख़िलाफ़ हैरान करने वाला बयान दे दिया।
नीतीश ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि रेणु देवी को कुछ पता ही नहीं है, जो पत्र नीति आयोग को भेजा गया है वह राज्य सरकार ने ही भेजा है। उन्होंने कहा कि अगर कोई राज्य सबसे पिछड़ा है तो उसके उत्थान के लिए तो नीति आयोग को कुछ करना ही होगा।
बीजेपी नेता रेणु देवी ने कहा था कि बिहार में बड़े पैमाने पर विकास कार्य हो रहे हैं और इसके लिए पैसा तो भारत सरकार ही दे रही है तो फिर विशेष राज्य के दर्जे की क्या ज़रूरत है।
नीतीश ने कहा कि हो सकता है कि उन्हें (रेणु देवी को) बात ही समझ नहीं आई होगी। उन्होंने कहा कि विशेष राज्य के दर्जे की मांग बिहार की बेहतरी के लिए की जा रही है।
बिहार में बीते विधानसभा चुनाव में जेडीयू का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा था। बीजेपी ने राज्य में दो नेताओं को उप मुख्यमंत्री बनाकर नीतीश के हाथ बांधने की कोशिश की थी।
केंद्र से मदद ज़रूरी
बिहार के लिए कहा जाता है कि पिछड़ा प्रदेश होने के कारण उसे केंद्र सरकार से विशेष आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए। विशेष राज्य का दर्जा मिलने से विकास कार्यों के लिए केंद्र से ज़्यादा पैसा मिलेगा और इससे राज्य सरकार को मदद मिलेगी।
लेकिन अब जब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर ख़ुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जेडीयू के अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह मैदान में आ गए हैं और दूसरी ओर बीजेपी नेता और राज्य की उप मुख्यमंत्री इसका विरोध कर रही हैं तो देखना होगा कि क्या ये लड़ाई आगे बढ़ती है या दोनों ओर के नेता इस मामले में कोई समझौता करते हैं।
कुछ दिन पहले बिहार बीजेपी के सांसद राम कृपाल यादव ने अपनी ही राज्य सरकार को संसद में सड़क निर्माण में नाकामी को लेकर घेर लिया था। यादव ने लोकसभा में कहा था कि बिहार सरकार प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत काम पूरा नहीं कर पाई है। तब बिहार से ही आने वाली केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इसका जवाब दिया था। लेकिन जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार और राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह ने गिरिराज सिंह से तीख़े सवाल पूछे थे।
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